लघु उत्तरीय प्रश्न ?
1 वैश्वीकरण में बहुराष्ट्रीय कंपनियों की भूमिका बताइए ।
उत्तर—वे कंपनियाँ जो एकाधिक देशों में उत्पादन पर नियंत्रण करती हैं,बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कहलाती हैं। ये कंपनियाँ वैश्विक स्तर पर अपने उत्पाद ही नहीं बेचतीं बल्कि वस्तुओं और सेवाओं का विश्व स्तर पर उत्पादन भी करती हैं। बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ कई तरह से अपने उत्पादन कार्य का प्रसार कर रही हैं और विश्व के कई देशों की स्थानीय कंपनियों के साथ पारस्परिक संबंध स्थापित कर रही हैं। स्थानीय कंपनियों के साथ साझेदारी द्वारा, आपूर्ति के लिए स्थानीय कंपनियों का उपयोग करके और स्थानीय कंपनियों से प्रतिस्पर्धा करके अथवा उन्हें खरीदकर बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ दूरस्थ स्थानों के उत्पादन पर अपना प्रभाव जमा रही हैं तथा वैश्वीकरण को बढ़ावा दे रही हैं।
प्रश्न 2. वैश्वीकरण के सकारात्मक प्रभाव बताइए ।
अथवा वैश्वीकरण क्या है? इसका कोई एक लाभ बताइए।
उत्तर- वैश्वीकरण का लाभ विशेष रूप से समाज के धन-संपन्न वर्ग को प्राप्त हुआ। इन उपभोक्ताओं के सम्मुख पहले से कई विकल्प विद्यमान हैं और वे अब कई उत्पादों की गुणवत्ता, उत्कृष्टता और कम कीमत से लाभ प्राप्त कर रहे हैं। ये लोग पहले की तुलना में आज अपेक्षाकृत उच्चतर जीवन स्तर का उपभोग- कर रहे हैं। वैश्वीकरण के कारण विभिन्न क्षेत्रों में नए उद्योग स्थापित हुए हैं तथा नए रोजगारों का सृजन हुआ है। साथ ही इन उद्योगों को कच्चे माल की आपूर्ति करने वाली स्थानीय कंपनियों का विस्तार हुआ है और कुछ ने तो अपनी उत्पादन प्रक्रिया का आधुनिकीकरण भी किया है।
प्रश्न 3. हाल के वर्षों में भारतीय बाजार में आए परिवर्तनों को उदाहरण सहित समझाइए ।
उत्तर—भारतीय बाजार हाल के वर्षों में पूरी तरह बदल चुका है। बाजार में देशी-विदेशी कंपनियों के कई उत्पाद विद्यमान होते हैं। कई बहुराष्ट्रीय कंपनियाँ भारत में अपने उत्पादों का उत्पादन कर रही हैं। ये कंपनियाँ अपनी वस्तुओं को भारतीय बाजारों के साथ-साथ विदेशी बाजारों के लिए भी निर्यात कर रही हैं। हाल के वर्षों में हमारे बाजार काफी विस्तृत हो चुके हैं। वैश्वीकरण और उत्पादकों, स्थानीय एवं विदेशी दोनों के बीच काफी अधिक प्रतिस्पर्धा से उपभोक्ताओं, विशेषकर शहरी उपभोक्ताओं को लाभ हुआ है। उपभोक्ताओं को कम कीमत पर पहले से उत्कृष्ट सामान मिल रहा है। उदाहरणस्वरूप भारत में पहले मोटर गाड़ियों की दो-तीन कंपनियाँ थीं, लेकिन वर्तमान में मोटर गाड़ियों की दर्जनों कंपनियाँ हैं जो कम कीमत पर उच्च तकनीक की गाड़ियाँ उपलब्ध करा रही हैं। इसी तरह की स्थिति इलेक्ट्रॉनिक्स सामान, इलेक्ट्रिक सामान आदि में भी देखने को मिल रहा है।
प्रश्न 4. नयी आर्थिक नीति की आवश्यकता को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर- 1. विदेशी विनिमय कोष में कमी -बढ़े हुए राजकोषीय घाटे और प्रतिकूल भुगतान संतुलन के कारण विदेशी विनिमय कोष में कमी आई। 1990-91 में यह स्थिति इतनी खराब हो गई कि हम लोग 10 दिनों तक विदेशी आयात बिलों का भुगतान नहीं कर पाए।
2. कीमतों में वृद्धि -1951-91 के काल के दौरान अर्थव्यवस्था में स्फीतिकारी दबाव महसूस किए गए। कृषि और औद्योगिक विकास की दर को बढ़ाने के लिए सरकार अत्यधिक व्यय करने लगी। सामाजिक कल्याण को देखते हुए भी हमारे व्यय बढ़ गए। गैर-विकासात्मक व्यय भी अधिक थे। उत्पादन और व्यय में तालमेल कभी भी नहीं बैठ सका।
3. राजकोषीय घाटा — यद्यपि हमने नियोजित विकासात्मक अर्थव्यवस्था को अपनाया है लेकिन हमारे गैर-विकासात्मक व्यय-कुल व्यय के बहुत अधिक अनुपात में हैं। राजकोषीय घाटे से हमारा अर्थ अनुमानित व्यय का अनुमानित राजस्व से अधिक होना है। ऐसे में अनुमानित व्यय की अनुमानित राजस्व पर अधिकता होती है।
4. प्रतिकूल भुगतान शेष—भुगतान संतुलन, जो हमें विदेशों को भुगतान करना है और जो हमें विदेशों से प्राप्त करना है उसके बीच का अंतर है। प्रतिकूल भुगतान संतुलन की स्थिति में हमें प्राप्त करने से अधिक भुगतान करना पड़ता है।
प्रश्न 5. नयी आर्थिक नीति के उद्देश्यों की व्याख्या कीजिए। उत्तर-नयी आर्थिक नीति के प्रमुख उद्देश्य इस प्रकार हैं-
1. अर्थव्यवस्था का उदारीकरण-सरकार द्वारा प्रत्यक्ष और भौतिक नियंत्रण को निम्नलिखित के सन्दर्भ में उदार बनाया गया-
(i) औद्योगिक लाइसेंसिंग,
(ii) उत्पादों की कीमत और वितरण नियंत्रण,
(iii) आयात लाइसेंसिंग,
(iv) विदेशी विनिमय नियंत्रण,
(v) कंपनियों द्वारा पूँजीगत व्ययों पर नियंत्रण,
(vi) बड़े व्यापार संगठनों द्वारा निवेश पर प्रतिबंध।
2. सार्वजनिक क्षेत्र के विकास की प्राथमिकता को कम करना—सार्वजनिक क्षेत्र अब उच्च टेक्नोलॉजी और आधारभूत ढाँचे के महत्त्वपूर्ण क्षेत्र जैसे-सड़कें, रेलवे, ऊर्जा, शिक्षा, स्वास्थ्य, जल, आपूर्ति और सीवेज सुविधाओं आदि पर ध्यान देगी।
3. विदेशी निजी निवेश के लिए खुले दरवाजे—नई आर्थिक नीति ने निजी विदेशी नीति का स्वागत किया और बाहरी निवेश पर लगे प्रतिबंधों को हटाया। पहले विदेशी सहायता, उनकी एजेंसियाँ, एशियन बैंक और IMF पर प्रतिबंध था। प्रश्न 6. विश्व व्यापार संगठन और उसकी प्रमुख विशेषताएँ बताइए। उत्तर- विश्व व्यापार संगठन की स्थापना वर्ष 1995 में की गयी। इसकी निम्नलिखित विशेषताएँ हैं- (i) नियम पर आधारित व्यापार की स्थापना करना, जो कि देशों के एकतरफा प्रतिबंधों से मुक्त हो। (ii) विश्व के साधनों का आदर्शतम उपयोग किया जाना। (iii) वातावरण की सुरक्षा। (iv) सदस्य देशों को कर एवं गैर-कर प्रतिबंधों से मुक्त करके अंतर्राष्ट्रीय व्यापार को प्रोत्साहित करना। (v) भारतवर्ष विश्व व्यापार संगठन का महत्त्वपूर्ण सदस्य होने के कारण. विकासशील देशों के हितों की सुरक्षा की वकालत करता है। विश्व व्यापार संगठन में लिए गए निर्णय के आधार पर भारतवर्ष में आयात के परिणामात्मक प्रतिबंधों एवं आयात कर में कमी करके अपनी अर्थव्यवस्था को उदार बना दिया है।
प्रश्न 7.बहुराष्ट्रीय कम्पनियाँ, अन्य कम्पनियों से किस प्रकार अलग हैं?
उत्तर—बहुराष्ट्रीय कंपनी किसी अन्य कंपनी से निम्न प्रकार से भिन्न होती
बहुराष्ट्रीय कंपनी:-
1. यह एक से अधिक देशों में उत्पादन का स्वामित्व या नियंत्रण रखती है।
2. यह उन देशों में उत्पादन हेतु कारखानों या कार्यालय स्थापित करती है जहाँ इसे श्रम एवं अन्य संसाधन सस्ते मिलते हैं।
3. बहुराष्ट्रीय कंपनी के लिए उत्पादन की लागत कम होती है, इसलिए यह अधिक लाभ कमाती है।
अन्य कंपनी:-
1. यह एक देश के भीतर ही उत्पादन का स्वामित्व या नियंत्रण रखती है।
2. इसके पास ऐसा कोई विकल्प नहीं होता है।
3. इसके पास अधिक लाभ कमाने के लिए ऐसी कोई संभावना नहीं होती है।
प्रश्न 8.भारतीय अर्थव्यवस्था पर वैश्वीकरण के प्रभाव को संक्षेप में समझाइए ।
उत्तर—वैश्वीकरण का भारतीय अर्थव्यवस्था पर प्रभाव इस प्रकार है-
1. छोटे उद्योगों में लगे श्रमिकों के सामने बेरोजगारी का खतरा मंडराने लगता है। इन उद्योगों के निरंतर बंद होने से अनेक श्रमिक बेरोजगार हैं।
2. बड़ी बहुराष्ट्रीय कम्पनियों एवं इनसे संबंधित उद्योगों के श्रमिकों को न्यायसंगत हिस्सा नहीं दिया गया है जिससे इनके रोजगार पर सदा छँटनी की तलवार लटकती रहती है।
3. वैश्वीकरण के कारण उद्योगों में नई नौकरियों का सृजन हुआ है।
4. वैश्वीकरण के परिणामस्वरूप कुछ भारतीय कंपनियाँ स्वयं बहुराष्ट्रीय
कंपनियाँ बन गई हैं। उदाहरण के लिए, रैनबैक्सी, टाटा मोटर्स।
5. छोटे उत्पादकों व कुटीर उद्योगों को वैश्वीकरण से बहुत हानि हुई है। बढ़ती हुई प्रतिस्पर्धा के चलते ये छोटे उद्योग समाप्त होते जा रहे हैं।
प्रश्न 9. विदेशी व्यापार को अनुकूल बनाने के सुझाव दीजिए।
उत्तर—भारत के विदेश व्यापार को अनुकूल बनाने के लिए प्रमुख सुझाव इस प्रकार हैं-
(i) सर्वप्रथम भारत को अपना निर्यात बढ़ाना चाहिए और आयात पर निर्भरता कम करनी चाहिए।
(ii) भारत को पेट्रोलियम के आयात को करना चाहिए तथा इसके स्थान पर सौर ऊर्जा, पवन ऊर्जा, भूतापीय ऊर्जा जैसे ऊर्जा के गैर परंपरागत स्रोतों पर अपनी निर्भरता बढ़ानी चाहिए।
(iii) सड़क यातायात एवं रेल यातायात में पेट्रोलियम पदार्थों के स्थान पर इलेक्ट्रिक रेल इंजन और इलेक्ट्रिक वाहनों का प्रयोग करना चाहिए।
(iv) विदेशी मल्टीनेशनल कंपनियों के उत्पादों का उपयोग कम करके उसके स्थान पर देश में स्थानीय स्तर पर बनी वस्तुओं के उपयोग को बढ़ावा देना चाहिए।
(v) लोगों में स्वदेशी उत्पादों को अपनाने के प्रति रुचि उत्पन्न करने का प्रयास करना चाहिए।
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