लघु उत्तरीय प्रश्न ?
प्रश्न 1.आर्थिक तथा अनार्थिक क्रियाओं में अंतर बतायें। अंतर के केवल दो बिंदु लिखें।
उत्तर- आर्थिक तथा अनार्थिक क्रियाओं में अंतर
आर्थिक क्रियाएँ
1. आर्थिक क्रियायें वे मानवीय क्रियायें हैं जो धन के उत्पादन,विनिमय, वितरण और उपयोग से संबंध रखती है।
2. आर्थिक क्रियाओं का वैधानिक होना आवश्यक है।
अनार्थिक क्रियायें
1. अनार्थिक क्रियायें वे मानवीय क्रियायें हैं जो सेवा भाव तथा जनकल्याण से संबंध रखती
2. अनार्थिक क्रियायें अवैधानिक भी हो सकती हैं।
प्रश्न 2.संगठित तथा असंगठित क्षेत्रक में अंतर स्पष्ट करें।
उत्तर—संगठित तथा असंगठित क्षेत्रक में अंतर निम्नलिखित हैं-
संगठित क्षेत्रक
1. ये क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृत होते हैं।
2. रोजगार की अवधि नियमित होती है।
3. इस क्षेत्रक को अनेक सरकारी नियमों एवं विनियमों का पालन करना होता है।
जैसे- कारखाना अधिनियम, न्यूनतम मजदूरी अधिनियम आदि ।
4.
इस क्षेत्रक में बैंक, अस्पताल, स्कूल आदि शामिल हैं।
असंगठित क्षेत्रक
1. ये क्षेत्रक सरकार द्वारा पंजीकृतं नहीं होते हैं।
2. रोजगार की अवधि नियमित नहीं होती है।
3. इस क्षेत्रक को किसी अधिनियम का पालन नहीं करना होता ।
4. इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में वे लोग भी शामिल हैं, जो छोटे काम करते हुए स्व-रोजगार में लगे हैं।
प्रश्न 4. भारत में पाई जाने वाली बेरोजगारी के कोई तीन प्रकार समझाइए |
उत्तर-भारत में निम्न प्रकार की बेरोजगारी पाई जाती है-
1. प्रच्छन्न बेरोजगारी-प्रच्छन्न बेरोजगारी उस स्थिति में विद्यमान होती है जब एक श्रम की सीमान्त भौतिक उत्पादकता शून्य होती है या कभी-कभी ऋणात्मक होती है। दूसरे शब्दों में प्रच्छन्न बेरोजगारी की स्थिति में एक काम करने के लिए जितने श्रमिकों की आवश्यकता होती है उससे अधिक श्रमिक उस काम में लगे होते हैं। यदि कुछ श्रमिक हटा दिए जायें तो कुल उत्पाद में कमी नहीं होगी। भारत के ग्रामीण क्षेत्र में प्रच्छन्न बेरोजगारी की समस्या काफी गंभीर है, भारत में यह बेरोजगारी 25% तथा 30% के बीच में है।
2. मौसमी बेरोजगारी-भारत एक कृषि प्रधान देश है और कृषि एक मौसमी व्यवसाय है। यह बेरोजगारी मौसम में परिवर्तन के फलस्वरूप पैदा होती है। भारत में लगभग 166 लाख लोग मौसमी बेरोजगार हैं।
3. औद्योगिक बेरोजगारी - भारत में औद्योगिक बेरोजगारी के उत्पन्न होने के कई कारण हैं। पहला कारण उत्पादन में पूँजी प्रधान तकनीक को अपनाना। दूसरा कारण गाँव के लोगों को शहर में नौकरी करने आना। गाँवों के लोगों के शहर में आने के कारण औद्योगिक शहरों में श्रमिकों की संख्या बढ़ गई है परन्तु भारत में अभी इतने उद्योग स्थापित नहीं हुए कि बढ़ती हुई श्रम-शक्ति को अपने में खपा सके।
प्रश्न 5. एक संगठित क्षेत्रक क्या है? इसके कोई तीन लाभ लिखें। अथवा रोजगार के संगठित क्षेत्रों को परिभाषित कीजिए।
उत्तर- संगठित क्षेत्रक-संगठित क्षेत्रक को औपचारिक क्षेत्रक भी कहते हैं। यह वह क्षेत्र है जिसमें श्रमिकों को सामाजिक सुरक्षा के लाभ (जैसे- भविष्य निधि, उपदान, पेंशन आदि) प्राप्त होते हैं। इसके कर्मचारी श्रम संघ बना सकते हैं। इस क्षेत्रक में काम करने वाले कर्मचारी नियमित होते हैं।
संगठित क्षेत्रक के लाभ -
(1) संगठित क्षेत्रक के श्रमिकों को सामाजिक 'सुरक्षा के लाभ प्राप्त होते हैं।
(2)
श्रमिक अपने हितों की रक्षा के लिए श्रम संघ बना सकते हैं।
(3) यदि उनसे अतिरिक्त काम लिया जाता है, तो उस अतिरिक्त काम का अतिरिक्त भुगतान किया जाता है।
प्रश्न 6.भारत एक विकासशील देश है। इस देश के अधिकांश लोग अर्थव्यवस्था के प्राथमिक क्षेत्रक में कार्यरत हैं। ऐसा क्यों?
उत्तर—भारत में द्वितीयक एवं तृतीयक क्षेत्रक धीमी गति से विकसित हो रहे हैं इसलिए यहाँ प्राथमिक क्षेत्रक में ही जनसंख्या की जीविका का अधिक भार है। कुटीर उद्योगों के उपेक्षित होने के कारण यहाँ के तृतीयक क्षेत्र में बहुराष्ट्रीय कंपनियों का ही प्रबल नियंत्रण है। कुटीर उद्योग पूरी तरह उपेक्षित हैं और लगभग ऐसे सभी उद्योग बंद होने की दशा में हैं।
धनी व्यक्तियों का द्वितीयक क्षेत्रक पर एकाधिकार होने के कारण-केवल चंद धनी व्यक्तियों का द्वितीयक क्षेत्रक में एकाधिकार है। वे अपने भारतीय भाइयों को रोजगार देने के स्थान पर विदेशी नागरिकों और फर्म से काम कराने को अधिक महत्त्व देते हैं। सूचना प्रौद्योगिकी विकसित हो जाने के बाद उनके लिए ऐसा करना और आसान हो गया है।
विश्व व्यापार संगठन की असफलता के कारण-विश्व व्यापार संगठन के सचिवीय सम्मेलन के आदेशों का मौन अनुपालन करते हुए यहाँ श्रम कानूनों को बेहद लचीला बनाकर पूँजीवादी प्रकृति का सामंतवाद स्थापित कर दिया गया है। विश्व व्यापार संगठन कहने भर को संयुक्त राष्ट्र संघ की एक एजेन्सी है लेकिन वस्तुतः यह अमरीकी वर्चस्व के पिंजरे का तोता या पालतू पक्षी है।
प्रश्न 7.आर्थिक क्रियाओं से क्या अभिप्राय है? प्रमुख आर्थिक क्रियाओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर—वे सभी क्रियाएँ जिनसे मनुष्य को धन प्राप्त होता है, आर्थिक क्रियाएँ कहलाती हैं। जैसे—खेती करना, नौकरी करना आदि। आर्थिक क्रियाएँ तीन प्रकार की होती हैं—
1. प्राथमिक आर्थिक क्रियाएँ- प्रकृति के सहयोग से जो आर्थिक क्रियाएँ की जाती हैं उन्हें प्राथमिक आर्थिक क्रियाएँ कहते हैं। जैसे—खनन कार्य, कृषि कार्य तथा मत्स्य पालन आदि।
2. द्वितीयक आर्थिक क्रियाएँ—वे क्रियाएँ जो प्राकृतिक उत्पादों की सहायता से विभिन्न वस्तुओं का निर्माण करती हैं, उन्हें द्वितीयक क्रियाएँ कहते हैं। जैसे— कपास से कपड़े बनाना, लकड़ी से कागज बनाना आदि।
3. तृतीयक आर्थिक क्रियाएँ—वे क्रियाएँ जो किसी वस्तु का उत्पादन नहीं करतीं, बल्कि प्राथमिक व द्वितीयक आर्थिक क्रियाओं के विकास में सहायता करती हैं, उन्हें तृतीयक आर्थिक क्रियाएँ कहते हैं। जैसे—परिवहन के साधन, बैंक तथा बीमा कंपनियाँ आदि।
प्रश्न 8. विकसित देशों में आर्थिक क्रियाओं के महत्त्व का वर्णन करें।
उत्तर—विकसित देशों में विकास की प्रारंभिक अवस्थाओं में प्राथमिक क्षेत्रक ही आर्थिक सक्रियता का सबसे महत्त्वपूर्ण क्षेत्रक रहा है। जैसे-जैसे कृषि प्रणाली परिवर्तित होती गई, कृषि क्षेत्रक समृद्ध होता गया, वैसे-वैसे पहले की तुलना में अपेक्षाकृत अधिक उत्पादन होने लगा। क्रय-विक्रय की गतिविधियाँ कई गुना बढ़ गईं। विनिर्माण की नवीन प्रणाली के प्रचलन से कारखाने अस्तित्व में आए और उनका प्रसार होने लगा। कुल उत्पादन एवं रोजगार की दृष्टि से द्वितीयक क्षेत्रक महत्त्वपूर्ण हो गया। अब कुल उत्पादन की दृष्टि से सेवा क्षेत्रक का महत्त्व बढ़ गया है। अधिकांश श्रमजीवी लोग सेवा क्षेत्रक में ही नियोजित हैं।
प्रश्न 9. केंद्र सरकार ने 'काम के अधिकार' को लागू करने के लिए क्या तरीका अपनाया?
उत्तर—केंद्र सरकार ने 'काम के अधिकार' को लागू करने के लिए एक कानून बनाया है। इसे 'राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005' के नाम से जाना जाता है। राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी अधिनियम, 2005 के अंतर्गत उन सभी लोगों को, जो काम करने में सक्षम हैं तथा जिन्हें काम की जरूरत है, सरकार द्वारा वर्ष में 100 दिन के रोजगार की गारंटी दी गई है। यदि सरकार रोजगार उपलब्ध कराने में असफल रहती है तो वह लोगों को बेरोजगारी भत्ता देगी।
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