लघु उत्तरीय प्रश्न?
प्रश्न 1. लोकतंत्रीय देशों में सामाजिक विभाजन का प्रभाव बताइए।
उत्तर—लोकतांत्रिक व्यवस्था वाले देशों में राजनीतिक दलों के बीच प्रतिद्वन्द्विता का वातावरण होता है। इस प्रतिद्वन्द्विता के कारण कोई भी समाज विघटित हो सकता है। यदि राजनीतिक दल समाज में विद्यमान विभाजनों के हिसाब से राजनीतिक होड़ करने लगे तो इससे सामाजिक विभाजन राजनीतिक विभाजन में परिवर्तित हो सकता है और ऐसे में देश विखण्डन की ओर जा सकता है। सत्यता यह है कि राजनीति में सामाजिक विभाजन की प्रत्येक अभिव्यक्ति फूट पैदा नहीं करती। कई देशों में ऐसी पार्टियाँ हैं जो केवल एक ही समुदाय पर ध्यान देती हैं और उसी के हित में राजनीति करती हैं, लेकिन इन सबकी परिणति देश के विखण्डन में नहीं होती है।
2. सामाजिक विभाजन से क्या आशय है?
उत्तर- प्रत्येक समाज के लोगों में जाति, धर्म, भाषा, संस्कृति, जन्म आदि के आधार पर अंतर पाया जाता है, जिसे सामाजिक विभिन्नताओं का नाम दिया जाता है। जब कोई सामाजिक विभिन्नता दूसरी अनेक विभिन्नताओं से बड़ी हो जाती है और लोग अपने को अलग-अलग समुदायों से सम्बन्धित मानने लगते हैं, तो वह सामाजिक विभाजन बन जाता है। उच्च और निम्न जातियों के बीच अंतर भारत में सामाजिक विभाजन का एक प्रमुख उदाहरण है। अमेरिका में श्वेत व अश्वेत लोगों के बीच अंतर सामाजिक विभाजन का ही उदाहरण है।
प्रश्न 3.भारत में सामाजिक विभिन्नताओं के लिए उत्तरदायी तीन प्रमुख तत्त्वों का उल्लेख कीजिए।
उत्तर- निम्नलिखित तीन तत्त्व भारत में सामाजिक विभिन्नता को प्रदर्शित करते हैं-
(1) जातीय विभिन्नता-भारत में अनेक जातियों-उपजातियों के लोग एक साथ रहते हैं। यथार्थ में भारतीय समाज जाति व्यवस्था पर आधारित है।
(2) भाषायी विविधता- भारत में 500 से अधिक भाषाएँ बोली जाती हैं। इनमें से 22 भाषाओं को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल किया गया है।
(3) भारत में विभिन्न धर्मों को मानने वाले लोग निवास करते हैं। इनमें हिन्दू, जैन, बौद्ध, सिख, ईसाई, पारसी और मुसलमान आदि धर्मों को मानने वाले शामिल हैं।
प्रश्न 4.1968 के ओलंपिक खेल कहाँ आयोजित हुए थे? अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक एसोसिएशन ने कार्लोस और स्मिथ को दोषी ठहराकर दंड दिया लेकिन राजनीति ने उन्हें विशेष सम्मान क्यों दिया?
उत्तर—(1) सन् 1968 के ओलंपिक खेल मैक्सिको देश के मैक्सिको शहर में आयोजित हुए थे।
(2) 1968 की ओलंपिक घटना के नागरिक आंदोलन में पश्चात् तेजी आई और विश्व के सभी देशों की दृष्टि में अमेरिका का वर्ण-विभेद उजागर हो गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर हस्तक्षेप और आंदोलन के कारण वहाँ अब नीग्रो वंशजों को समान राजनैतिक अधिकार दिए गए हैं। संक्षेप में यह कहा जा सकता है कि राजनैतिक दृष्टि से भले ही उन युवकों के कृत्य को सम्मान दिया गया हो लेकिन व्यष्टि स्तर पर उन्होंने खेलभावना को दूषित किया इसलिए उनकी रूह या आत्मा सान होसे विश्वविद्यालय के प्रांगण में बनाए गए उनके बुतों में आज भी कैद है।
प्रश्न 5. उत्तरी आयरलैंड तथा नीदरलैंड प्रत्येक के सामाजिक समूहों की दो विशेषताएँ लिखें।
उत्तर- (1) दोनों ही ईसाई बहुल देश हैं लेकिन यहाँ के लोग प्रोटेस्टेंट और कैथोलिक खेमें में बँटे हैं।
(2) उत्तरी आयरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच गहरी समानता है। वहाँ का कैथोलिक समुदाय बहुत गरीब है। लम्बे समय से उसके साथ भेदभाव होता आया है।
(3) नीदरलैंड में वर्ग और धर्म के बीच ऐसा मेल दिखाई नहीं देता। वहाँ कैथोलिक और प्रोटेस्टेंट, दोनों में गरीब और अमीर हैं।
(4) परिणाम यह है कि उत्तरी आयरलैंड में साम्प्रदायिक दंगे हुए अर्थात् कैथोलिकों और प्रोटेस्टेंटों के बीच भारी मार-काट चलती रही है, पर नीदरलैंड में ऐसा नहीं होता ।
प्रश्न 6. मार्टिन लूथर किंग जूनियर पर एक टिप्पणी लिखिए।
उत्तर- 1. शक्तिशाली नेता-मार्टिन लूथर किंग जूनियर संयुक्त राज्य अमेरिका के नागरिक अधिकार आंदोलन के एक शक्तिशाली नेता थे।
2. अहिंसा के पुजारी-मार्टिन महात्मा गाँधी के विचारों से अत्यधिक प्रभावित थे। वे अहिंसा के प्रबल समर्थक थे। मार्टिन ने संयुक्त राज्य अमेरिका में पृथकतावाद और नस्ली भेदभाव के विरुद्ध जोरदार किन्तु अहिंसात्मक आंदोलन आरंभ किया अंततः देश में पृथकतावाद का अंत हुआ।
3. अश्वेत लोगों को समान अधिकार प्राप्त कराने के लिए आंदोलन चलाया-अश्वेत लोगों का नाम मतदाता-सूची में शामिल करने के लिए आंदोलन चलाया गया। इस आंदोलन के दौरान आंदोलनकारियों को अनेक कष्टों का सामना करना पड़ा।
4. कानूनी अधिकारों का दर्जा प्राप्त कराया-आंदोलनकारियों ने वाशिंगटन में 1963 ई. में एक विशाल रैली का आयोजन किया। अंततः आंदोलनकारियों ने नागरिक अधिकारों में कानूनी अधिकारों का दर्जा प्राप्त कर लिया। देश में काली शक्ति वाले आंदोलन ने उग्र रूप धारण कर लिया। 1968 ई. में मार्टिन लूथर किंग जूनियर की हत्या कर दी गयी। इसके बाद नवयुवकों और बुद्धिजीवियों के गुट ने वियतनाम के युद्ध के विरुद्ध एक शक्तिशाली आंदोलन किया। बाद शुरू में इस आंदोलन ने विश्व-शान्ति, निःशस्त्रीकरण और पर्यावरण संरक्षण आदि विषयों का व्यापक विश्लेषण किया।
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