विकास अर्थशास्त्र अध्याय 1 के लिए दीर्घ प्रश्न यूपी बोर्ड परीक्षा के लिए बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। इस अध्याय में विकास के विभिन्न पहलुओं पर विस्तृत चर्चा होती है। इसलिए, इस अध्याय के दीर्घ प्रश्न आपको अध्याय के मुख्य विषयों के बारे में विस्तृत ज्ञान और समझ प्रदान करते हैं।
कुछ महत्वपूर्ण दीर्घ प्रश्न जो इस अध्याय में सम्मिलित हो सकते हैं, निम्नलिखित हैं:
1.आर्थिक विकास क्या है? विकास के विभिन्न पहलुओं का वर्णन करें।
2.आर्थिक विकास के मुख्य कारक और उनके अनुपात का विवेचन करें।
3.आर्थिक विकास के बाधाएं और उन्हें दूर करने के उपाय क्या हैं?
4.भारत में आर्थिक विकास के लिए सरकार की भूमिका क्या है?
5.भारत के विकास योजनाओं का विश्लेषण कीजिए।
इन प्रश्नों के जवाब देने के लिए, आपको अध्याय के विभिन्न विषयों जैसे कि आर्थिक विकास के अनुपात, ग्रामीण विकास, विकास एवं समानता और आर्थिक विकास
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ?
प्रश्न 1. केरल, पंजाब और बिहार की तुलनात्मक आर्थिक स्थिति की संक्षिप्त व्याख्या कीजिए।
उत्तर—केरल, पंजाब एवं बिहार की तुलनात्मक आर्थिक स्थिति निम्नलिखित पद कदमों द्वारा समझाई गई है—
(i) लिंग अनुपात - पंजाब, बिहार एवं केरल में प्रति हजार पुरुषों पर लिंग अनुपात क्रमशः 793, 938 तथा 963 है। बिहार एवं पंजाब में लिंग अनुपात में कमी हुई है, परंतु केरल में लिंग अनुपात में वृद्धि हुई है।
(ii) पद स्थिति—केरल एवं बिहार की तुलना में पंजाब रहने के लिए सर्वोत्तम राज्य है, जबकि केरल दूसरे पद पर है तथा बिहार की स्थिति रहने की दृष्टि से संतोषजनक नहीं है।
(iii) प्राइमरी शिक्षा - प्राइमरी शिक्षा में केरल प्रथम स्थान पर है, जबकि पंजाब 7वें तथा बिहार 20वें स्थान पर है।
(iv) मृत्यु दर – बिहार में मृत्यु दर सबसे अधिक अर्थात् 7.9 है, जबकि पंजाब में 7.0 तथा केरल में मृत्यु दर राष्ट्रीय औसत दर से कम है।
(v) शिशु मृत्यु दर – बिहार में शिशु मृत्यु दर सबसे अधिक है, जबकि केरल में मृत्यु दर बहुत कम है। इसके अतिरिक्त पंजाब बिहार से बेहतर है परंतु केरल से नहीं।
(vi) प्राइमरी स्वास्थ्य स्थिति – प्राइमरी स्वास्थ्य में केरल ने प्रथम स्थान प्राप्त कर लिया है, जबकि पंजाब 7वें तथा बिहार 20वें स्थान पर है।
(vii) गरीबी का सूचकांक - पंजाब तथा केरल की तुलना में बिहार गरीब राज्य है।
(viii) संरचना–संरचना की स्थिति में केरल तथा बिहार की तुलना में पंजाब प्रथम स्थान पर है, जबकि केरल तथा बिहार क्रमशः 7वें तथा 20वें स्थान पर हैं।
प्रश्न 2 पर्यावरण अवक्षय के कारण बताइये।
उत्तर-पर्यावरण अवक्षय के कारण-पर्यावरण अवक्षय के निम्नलिखित कारण हैं-
1. जनसंख्या विस्फोट-पर्यावरण अवक्षय का एक मुख्य कारण भारत में जनसंख्या विस्फोट की प्रवृत्ति है। इसके फलस्वरूप भूमि पर जनसंख्या का दबाव बहुत अधिक बढ़ गया है तथा भूमि का अधिक शोषण होने लगा है। जनसंख्या विस्फोट के कारण वनों के अन्तर्गत भूमि प्राप्त करने के लिए वनों का बहुत अधिक कटाव किया गया है।
2. लोगों की निर्धनता-भारत में निर्धनता रेखा से नीचे के लोगों की संख्या काफी अधिक है। ये लोग अपने जीवन-निर्वाह के लिए वनों का कटाव करते हैं तथा अनेक प्रकार की प्राकृतिक पूँजी का शोषण करते हैं।
3. बढ़ता हुआ नगरीकरण नगरीकरण के बढ़ने के फलस्वरूप मकानों तथा सार्वजनिक सुविधाओं में काफी वृद्धि हुई है। इसके फलस्वरूप भूमि तथा अन्य प्राकृतिक संसाधनों का अत्यधिक शोषण किया जा रहा है।
4. तीव्र औद्योगीकरण – द्रुत और तीव्र औद्योगीकरण भी वायु, जल तथा ध्वनि प्रदूषण को बढ़ावा देता है। विशेष रूप से धुआँ एक खतरनाक प्रदूषण है।
प्रश्न 3.मानव विकास सूचकांक का क्या महत्त्व है?
उत्तर – मानव विकास सूचकांक का महत्त्व-निम्न बिन्दु मानव विकास सूचकांक के महत्त्व को दर्शाते हैं :
1. देश के विकास स्तर को बढ़ाने में सहायक-मानव विकास सूचकांक किसी देश के विकास के स्तर को बढ़ाता है।
2. उच्च क्रम प्राप्त करने में सहायक-यह एक देश को बताता है कि उच्च क्रम प्राप्त करने के लिए उसे अभी कितना आगे बढ़ना है।
3. आर्थिक कल्याण में सहायक-इसके माध्यम से हमें आयु प्रत्याशा, प्रौढ़ शिक्षा दर, शिक्षा का स्तर, प्रतिव्यक्ति आय आदि आर्थिक कल्याण के मुख्य तत्त्वों की जानकारी देता है।
4. दोनों देशों के विकास स्तर को मापने में सहायक-इसकी सहायता से दो या दो से अधिक देशों के विकास स्तर की तुलना कर सकते हैं।
प्रश्न 4. विकास में स्वास्थ्य की भूमिका समझाइए ।
उत्तर—स्वास्थ्य एक सामाजिक संरचना है, जोकि स्वस्थ, चुस्त एवं क्रियाशील कार्यशक्ति (Working Force) को उपलब्ध कराकर अप्रत्यक्ष रूप से आर्थिक विकास में सहायता प्रदान करती है। शारीरिक एवं मानसिक रूप से स्वस्थ मानव शक्ति एक बहुमूल्य संपत्ति है, जिसमें संपूर्ण उत्पादन प्रक्रिया क्रियाशील होती है। मानव उत्पादन प्रक्रिया का महत्त्वपूर्ण तत्त्व है। यदि हम स्वस्थ एवं निपुण हैं तो आर्थिक वृद्धि अधिक तेजी से सरलता के साथ प्राप्त की जा सकती है। एक पुरानी कहावत के अनुसार, “एक स्वस्थ शरीर में एक स्वस्थ दिमाग रहता है।” इसलिए शारीरिक स्वास्थ्य से तात्पर्य मानसिक स्वस्थता से है। इन दोनों के योग से मानव संसाधन की उत्पादकता एवं कुशलता में वृद्धि होती है।
प्रश्न 5. मानव विकास सूचकांक क्या है? मानव विकास नापनेवाले मूलभूत अवयवों का वर्णन कीजिए।
उत्तर—मानव विकास सूचकांक एक ऐसा मापदंड है जिसके द्वारा विश्व के विभिन्न देशों का सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में उपलब्धियों के आधार पर स्थान निर्धारित किया जाता है। इस मापदंड द्वारा संयुक्त राष्ट्र संघ विभिन्न देशों की तुलनात्मक प्रगति का ज्ञान प्राप्त करने में सफल हुआ। ऐसा इसलिए किया गया जिससे कुछ ऐसे देशों की सहायता की जा सके जो उनके विकास के लिए आवश्यक है। संयुक्त राष्ट्र विकास कार्यक्रम ने 1990 में अपनी प्रथम मानव विकास रिपोर्ट में ‘मानव विकास सूचकांक' का प्रयोग किया ताकि विश्व के विभिन्न देशों की सामाजिक-आर्थिक क्षेत्र में उपलब्धियों को आँका जा सके।
मानव विकास नापने वाले मूलभूत अवयव – मानव विकास एक विस्तृत धारणा है। इसमें मनुष्य के आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक जीवन का विकास शामिल है। संयुक्त राष्ट्र संघ ने मानव विकास को नापने के लिए तीन प्रमुख अवयवों को आधार बनाया है—
1. दीर्घ आयु - मानव विकास सूचकांक के अनुसार जिन देशों में जीवन प्रत्याशा अधिक होगी, उन्हें विकसित देश माना जाएगा। इसमें केवल दीर्घ आयु ही शामिल नहीं है बल्कि एक अच्छा व स्वस्थ जीवन जीना भी विकास के लिए जरूरी है। शारीरिक व मानसिक रूप से स्वस्थ व्यक्ति देश के विकास के लिए काम कर सकता है।
2. शिक्षा अथवा ज्ञान-किसी देश में जितने अधिक लोग साक्षर होंगे, उस देश के विकास का स्तर भी उतना अधिक ऊँचा होगा। एक साक्षर व्यक्ति देश के विकास में महत्त्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है।
3. जीवन स्तर -जिस देश के लोगों की प्रतिव्यक्ति आय अधिक होगी वह देश विकास की श्रेणी में उच्च स्तर पर गिना जाएगा क्योंकि ऐसे देश में लोग न केवल अपनी आवश्यकताओं को ही पूरा करेंगे बल्कि एक अच्छा जीवन स्तर बनाएँगे जो विकास के लिए जरूरी है।
प्रश्न 6. विकास मापने का यू.एन.डी.पी. का मापदंड किन पहलुओं में विश्व बैंक के मापदंड से अलग है?
अथवा एक विकसित देश की क्या विशेषताएँ होती हैं? स्पष्ट कीजिए।
अथवा विकसित देशों की किन्हीं तीन विशेषताओं का वर्णन कीजिए।
उत्तर-विकास को मापने का विश्व बैंक का मापदण्ड केवल 'आय' पर आधारित है। इस मापदण्ड की अनेक सीमाएं हैं। आय के अतिरिक्त भी कई अन्य मापदण्ड हैं जो विकास मापने के लिए आवश्यक है, क्योंकि मानव मात्र पर्याप्त आय के बारे में नहीं सोचता, बल्कि वह अपनी सुरक्षा, दूसरों से आदर और बराबरी का व्यवहार पाना, स्वतंत्रता आदि जैसे अन्य लक्ष्यों के बारे में भी चिंतन करता है।
यू.एन.डी.पी. द्वारा प्रकाशित मानव विकास रिपोर्ट में विकास के लिए निम्नलिखित मापदंड अपनाए गए-
1. लोगों का स्वास्थ्य-मानव विकास का प्रमुख मापदंड है स्वास्थ्य या दीर्घायु । विभिन्न देशों के लोगों की जीवन प्रत्याशा जितनी अधिक होगी, वह मानव विकास की दृष्टि से उतना ही अधिक विकसित देश माना जाएगा।
2. शैक्षिक स्तर – मानव विकास का दूसरा प्रमुख मापदंड शैक्षिक स्तर है। किसी देश में साक्षरता की दर जितनी ज्यादा होगी वह उतना ही विकसित माना जाएगा 'और यह दर यदि कम होगी तो उस देश को अल्पविकसित कहा जाएगा।
3. प्रतिव्यक्ति आय - मानव विकास का तीसरा मापदंड है प्रतिव्यक्ति आय। जिस देश में प्रतिव्यक्ति आय अधिक होगी उस देश में लोगों का जीवन स्तर भी अच्छा होगा और अच्छा जीवन स्तर विकास की पहचान है। जिन देशों में लोगों की प्रतिव्यक्ति आय कम होगी, लोगों का जीवन स्तर भी अच्छा नहीं होगा। ऐसे देश को विकसित देश नहीं माना जा सकता।
प्रश्न 7. भारत के लोगों द्वारा ऊर्जा के किन स्रोतों का प्रयोग किया जाता है? ज्ञात कीजिए। अब से 50 वर्ष पश्चात् क्या संभावनाएँ हो सकती हैं?
उत्तर—भारत के लोगों द्वारा उपयोग किए जा रहे ऊर्जा के वर्तमान स्रोतों का विवरण इस प्रकार है-
1. प्राकृतिक गैस-प्राकृतिक गैस का भी अब शक्ति के साधन के रूप बहुत प्रयोग किया जाने लगा । गैस को पाइपों के सहारे दूर-दूर के स्थानों पर पहुँचाया जाता है। इससे अनेक औद्योगिक इकाइयाँ चल रही हैं।
2. जल विद्युत-यह ऊर्जा का नवीकरणीय संसाधन है। अब तक जात सभी संसाधनों में यह सबसे सस्ता है। इसका प्रयोग घरों, दफ्तरों तथा औद्योगिक इकाइयों में बड़े पैमाने पर किया जाता है।
3. कोयला-कोयले का प्रयोग ईंधन के रूप में तथा उद्योगों में कच्चे माल के रूप में किया जाता है। वाष्प इंजन जिसमें कोयले का प्रयोग होता है, रेलॉ और उद्योगों में काम में लाया जाता है।
4. खनिज तेल-खनिज तेल का प्रयोग सड़क परिवहन, जहाजों, वायुयानों आदि में किया जाता है। तेल को परिष्कृत करके डीजल, मिट्टी का तेल, पेट्रोल आदि प्राप्त किए जाते हैं।
5. ऊर्जा के अन्य स्रोत-ऊर्जा के कुछ ऐसे स्रोत भी हैं जिनका प्रयोग अभी कुछ समय पूर्व से ही किया जाने लगा है। ये सभी स्रोत नवीकरणीय हैं। जैसे-पवन ऊर्जा, सौर ऊर्जा, बायोगैस, भूतापीय ऊर्जा आदि।
ऊर्जा के अधिकांश परंपरागत साधनों का प्रयोग लंबे समय से हो रहा है। ये सभी स्रोत अनवीकरणीय हैं अर्थात् एक बार प्रयोग करने पर समाप्त हो जाते हैं। इनकी पुनः पूर्ति संभव नहीं है। आनेवाले 50 वर्षों में ये संसाधन यदि इसी तरह इस्तेमाल किए जाते रहे, तो समाप्तप्राय हो जाएँगे। यदि हमें इन संसाधनों को बचाना है तो ऊर्जा के नए और नवीकरणीय संसाधनों को खोजकर उनका अधिकाधिक प्रयोग करना होगा।
प्रश्न 8. धारणीयता का विषय विकास के लिए क्यों महत्त्वपूर्ण है?
उत्तर-धारणीयता से अभिप्राय है सतत पोषणीय विकास अर्थात् ऐसा विकास जो वर्तमान पीढ़ी तक ही सीमित न रहे बल्कि आगे आने वाली पीढ़ी को भी मिले। वैज्ञानिकों का कहना है कि हम संसाधनों का जैसे प्रयोग कर रहे हैं, उससे लगता है कि संसाधन शीघ्र समाप्त हो जाएँगे और आगे आने वाली पीढ़ी के लिए नहीं बचेंगे। यदि हमें विकास को धारणीय बनाना है अर्थात् निरंतर जारी रखना है, तो हमें संसाधनों का प्रयोग इस तरह से करना होगा जिससे विकास की प्रक्रिया निरंतर जारी रहे और भावी पीढ़ी के लिए संसाधन बचे रहें।
धारणीयता की अवधारणा विकास के लिए निम्न कारणों से महत्त्वपूर्ण है :
(1) यह भविष्य की आवश्यकताओं को ध्यान में रखती है।
(2) यह प्राकृतिक संसाधनों का विवेकपूर्ण प्रयोग करने में प्रोत्साहित करती है।
(3) यह गुणवत्तापूर्ण जीवन को महत्त्व देती है।
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