बहुविकल्पीय
प्रश्न 1. एशिया के उन दो देशों के नाम बताइए जिनमें दो भाषाई और जातीय समूहों में संघर्ष था ?
(क) श्रीलंका और लेबनान
(ख) भारत और चीन
(ग) मलेशिया और यमन
(घ)पाकिस्तान और ईरान
उत्तर—(क) श्रीलंका और लेबनान
प्रश्न 2. सत्ता की साझेदारी का क्या अर्थ है?
(क) सरकार के विभिन्न अंगों के बीच शक्ति का विभाजन या विभिन्न स्तरों पर सरकार में शक्तियों का विभाजन
(ख) विभिन्न जातियों के बीच सत्ता का बँटवारा
(ग) विभिन्न धर्मों के बीच सत्ता का बँटवारा
(घ) विभिन्न भाषायी लोगों के बीच सत्ता का बँटवारा
उत्तर—(क) सरकार के विभिन्न अंगों के बीच शक्ति का विभाजन या विभिन्न स्तरों पर सरकार में शक्तियों का विभाजन
प्रश्न 3. बेल्जियम में सामान्य रूप से कौन-सी दो भाषाएँ बोली जातीहैं?
(क) फ्रेंच और अंग्रेजी
(ख) डच और अंग्रेजी
(घ) डच और सिंहली
(ग) फ्रेंच और डच
उत्तर- (ग) फ्रेंच और डच
प्रश्न 4. यूरोपीय संघ का मुख्यालय कहाँ है?
(क) ऑस्लो
(ख) ब्रूसेल्स
(घ) एम्सटर्डम
(ग) जेनेवा
उत्तर- (ख) ब्रूसेल्स
प्रश्न 5. सरकार के उच्च और निम्न स्तर के बीच सत्ता के बँटवारे को
कहते हैं-
(क) क्षैतिज वितरण
(ख) समानांतर वितरण
(घ) तिरछा वितरण
(ग) ऊर्ध्वाधर वितरण
उत्तर—(ग) ऊर्ध्वाधर वितरण
प्रश्न 6. श्रीलंका कब एक स्वतंत्र राष्ट्र बना?
(क) 1946 ई.
(ख) 1947 ई.
(घ) 1949 ई.
(ग) 1948 ई.
उत्तर—(ग) 1948 ई.
प्रश्न 7. बहुसंख्यकवाद के सिद्धांत के कारण किस देश में गृहयुद्ध
हुआ ?
(क) श्रीलंका में
(ख) यूगोस्लाविया में
(घ) लेबनान में
(ग) बेल्जियम में
उत्तर—(क) श्रीलंका में
प्रश्न 8. बेल्जियम की सीमाएँ किन देशों से लगती हैं?
(क) फ्रांस, नीदरलैण्ड, जर्मनी और लक्समबर्ग
(ख) नार्वे, फिनलैंड, स्वीडन, आस्ट्रिया
(ग) पुर्तगाल, स्पेन, स्विट्जरलैंड, रोमानिया
(घ) इटली, पोलैंड, लातविया बोस्निया
,
उत्तर—(क) फ्रांस, नीदरलैण्ड, जर्मनी और लक्समबर्ग
प्रश्न 9. सत्ता के क्षैतिज वितरण से क्या तात्पर्य है?
(क) सत्ता का संघीय वितरण
(ख) सत्ता का अलगाव वितरण
(ग) कार्यपालिका, व्यवस्थापिका तथा न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा
(घ) केंद्र और राज्य सरकार के बीच सत्ता का बँटवारा
उत्तर—(ग) कार्यपालिका, व्यवस्थापिका तथा न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा
प्रश्न 10. बेल्जियम में किस जातीय समूह की सबसे अधिक आबादी है?
(क) वैलून
(ग) जर्मन
(ख) फ्लेमिश
(घ) उपरोक्त में किसी की नहीं
उत्तर—(ख) फ्लेमिश
प्रश्न 11. श्रीलंका की आबादी में सबसे बड़ा हिस्सा प्रमुख सामाजिक
समूह का है?
(क) सिंहली
(ख) श्रीलंकाई तमिल
(ग) भारतीय तमिल
(घ) ईसाई
उत्तर—(क) सिंहली
प्रश्न 12. बेल्जियम की जनसंख्या कितनी है?
(क) लगभग 1 करोड़
(ख)लगभग 2 करोड़
(ग) लगभग 3 करोड़
(घ)लगभग 4 करोड़
उत्तर—(क) लगभग 1 करोड़
प्रश्न 13. श्रीलंका में कौन से जातीय समूहों के लोग रहते हैं?
(क) सिंहली जातीय समूह - 74 प्रतिशत
(ख) तमिल जातीय समूह-18 प्रतिशत
(ग) ईसाई-7 प्रतिशत
(घ) उपरोक्त सभी
उत्तर—(घ) उपरोक्त सभी
प्रश्न 14. श्रीलंका में लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए कौन से कदम उठाए?
(क) सामुदायिक सरकार
(ख) संघीय सरकार
(ग) बहुसंख्यकवाद सरकार
(घ) विवेकी सरकार
उत्तर—(ग) बहुसंख्यकवाद सरकार
प्रश्न 15. 1970 से 1993 ई. के बीच बेल्जियम के संविधान में कितनी बार संशोधन किए गए?
(ख) पाँच बार
(घ) सात बार
(क) चार बार
(ग) छह बार
उत्तर—(क) चार बार
प्रश्न 16. सत्ता में साझेदारी का अच्छा उदाहरण प्रस्तुत करने वाला शब्द
कौन सा है?
(क) पाकिस्तान
(ख) श्रीलंका
(ग) बेल्जियम
(घ) युगोस्लाविया
उत्तर—(ग) बेल्जियम
प्रश्न 17. बेल्जियम में निम्नलिखित में से कौन-सी भाषा नहीं बोली
जाती है?
(क) फ्रेंच
(ख) डच
(ग) डेनिश
(घ) जर्मन
उत्तर—(ग) डेनिश
प्रश्न 18. भारत में पंचायती राज की संस्थाओं में महिलाओं को कितना प्रतिशत आरक्षण दिया गया है?
(क) 25%
(ख) 30%
(TT) 33%
(घ) 35%
उत्तर— (ग) 33%
प्रश्न 19. श्रीलंका में निम्नलिखित में से कौन-सा धर्म है?
(क) बौद्ध धर्म
(ख) हिन्दू धर्म
(ग) ईसाई धर्म
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर—(क) बौद्ध धर्म
प्रश्न 20. जाति व्यवस्था को निम्नलिखित में से किसने कमजोर किया
है-
(क) आर्थिक विकास
(ख) शिक्षा में वृद्धि
(ग) शहरीकरण
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर—(घ) उपर्युक्त सभी
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न ?
प्रश्न 1. एशिया के उन दो देशों के नाम बताइए जिनमें दो भाषाई और जातीय समूहों में संघर्ष था?
उत्तर- श्रीलंका और लेबनान ।
प्रश्न 2. बेल्जियम में कौन-कौन सी भाषाएँ बोली जाती हैं?
उत्तर-डच, फ्रेंच और जर्मन ।
प्रश्न 3. श्रीलंका के कई तमिलों को भारतीय तमिल क्यों कहा जाता है?
उत्तर-उन्हें भारतीय तमिल इसलिए कहा जाता है क्योंकि वे औपनिवेशिक शासनकाल में बागानों में काम करने के लिए भारत से लाए गए लोगों की संतान हैं।
प्रश्न 4. सत्ता की साझेदारी का क्या अर्थ है?
उत्तर-सत्ता की साझेदारी का अर्थ है— सरकार के विभिन्न अंगों के बीच शक्ति का विभाजन या विभिन्न स्तरों पर सरकार में शक्तियों का विभाजन ।
प्रश्न 5. सत्ता का क्षैतिज विभाजन क्या है?
उत्तर-सत्ता के क्षैतिज विभाजन का अर्थ है-सरकार के विभिन्न अंगों विधायिका, कार्यपालिका तथा न्यायपालिका के बीच शक्ति का विभाजन। सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहते हुए अपनी-अपनी शक्ति का प्रयोग करते हैं।
प्रश्न 6. सत्ता का ऊर्ध्वाधर विभाजन क्या है?
उत्तर-इस व्यवस्था में सत्ता का विभाजन सरकार के विभिन्न स्तरों—केंद्रीय, प्रांतीय तथा स्थानीय स्तर के बीच किया जाता है।
प्रश्न 7.बहुसंख्यकवाद से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-वह व्यवस्था जिसमें देश में रहने वाला बहुसंख्यक समुदाय अपने मनचाहे ढंग से शासन करे और इसके लिए वह अल्पसंख्यक समुदाय की जरूरत या इच्छाओं की अवहेलना करे बहुसंख्यकवाद कहलाता है।
प्रश्न 8.श्रीलंका की आबादी में किन-किन जाति समूह के लोग रहते हैं?
उत्तर-श्रीलंका की आबादी में 74% सिंहली, 11% तमिल, 8% ईसाई तथा 7% मुसलमान समुदाय के लोग रहते हैं।
प्रश्न 9. श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद से आप क्या समझते हैं?
उत्तर- श्रीलंका के सिंहली समुदाय के नेताओं ने अपनी बहुसंख्या के बल पर शासन पर प्रभुत्व जमाना चाहा। इस वजह से लोकतांत्रिक रूप से निर्वाचित सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता कायम करने के लिए अपनी बहुसंख्यक परस्ती के तहत कई कदम उठाए।
प्रश्न 10. लेबनान में राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, उपप्रधानमंत्री और संसद के अध्यक्ष किस-किस समुदाय से चुने जाते हैं?
उत्तर-लेबनान में राष्ट्रपति ईसाई कैथोलिक ही होना चाहिए। सिर्फ सुन्नी मुसलमान ही प्रधानमंत्री हो सकता है। उपप्रधानमंत्री का पद आर्थोडॉक्स ईसाई और संसद के अध्यक्ष का पद शिया मुसलमान के लिए तय किया गया है।
प्रश्न 11. नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-ऐसी लोकतांत्रिक व्यवस्था जिसमें न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है पर न्यायपालिका ही कार्यपालिका पर और विधायिका द्वारा बनाए गए कानूनों पर अंकुश रखती है। इस व्यवस्था को नियंत्रण और संतुलन की व्यवस्था भी कहते हैं।
प्रश्न 12. सामुदायिक सरकार से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-एक ऐसी सरकार जो एक समुदाय द्वारा चुनी जाती है। बेल्जियम में डच, फ्रेंच और जर्मन वाले समुदाय के लोग चाहे वे जहाँ भी रहते हों, इस सरकार को चुनते हैं। इस सरकार को संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मसलों पर फैसला लेने का अधिकार है।
प्रश्न 13. युक्तिपरक से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-ऐसा फैसला जिसमें विवेक के आधार पर हानि-लाभ का हिसाब लगाकर फैसला किया जाता है, युक्तिपरक कहलाता है।
प्रश्न 14. सत्ता की साझेदारी से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-किसी देश में शासन करने की शक्ति का समाज के अलग-अलग समुदायों, वर्गों या लोगों में बँटवारा सत्ता की साझेदारी कहलाता
प्रश्न 15. एथनीक या जातीय से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-ऐसा सामाजिक विभाजन जिसमें हर समूह अपनी-अपनी संस्कृति को अलग मानता है यानी यह साझी संस्कृति पर आधारित सामाजिक विभाजन है।
प्रश्न 16. गृहयुद्ध से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-जिस देश में सरकार विरोधी समूहों की हिंसक लड़ाई ऐसा रूप कि वह युद्ध-सा लगे तो उसे गृहयुद्ध कहा जाता है।
प्रश्न 17. भारत के दो पड़ोसी देशों के नाम बताइए।
उत्तर-नेपाल और भूटान भारत के दो पड़ोसी देश हैं। इसके अतिरिक्त चीन, म्यांमार, पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान हैं।
लघु उत्तरीय प्रश्न
प्रश्न 1.श्रीलंकाई तमिलों ने अपने अधिकारों के लिए किस संघर्ष किया?
उत्तर - श्रीलंकाई तमिलों ने अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए राजनीतिक दल का गठन किया। तमिलों ने तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता प्राप्त करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग लेकर संघर्ष किया। किन्तु तमिलों की जनसंख्या वाले क्षेत्र की स्वायत्तता की उनकी माँगों की श्रीलंकाई सरकार द्वारा लगातार अनदेखी की गयी। 1980 ई. के दशक तक श्रीलंका के उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वायत्त तमिल ईलम बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।
प्रश्न 2. बहुसंख्यकवाद ने श्रीलंका में किस प्रकार सामाजिक तनाव को जन्म दिया?
उत्तर-श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहलियों के हितों को ध्यान में रखकर कानून बनाये गए। इसके कारण सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सिंहलियों का एकाधिकार हो गया। इन सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया। उन्हें लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही हैं, उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। परिणाम यह हुआ कि तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए। इस टकराव ने गृहयुद्ध का रूप धारण कर लिया।
प्रश्न 3.बेल्जियम में विभिन्न भाषायी लोगों के बीच सामाजिक तनाव के कारण बताइए।
उत्तर-बेल्जियम की कुल आबादी का 59 प्रतिशत हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है। 40 फीसदी लोग वेलोनिया में रहते हैं और फ्रेंच बोलते हैं। शेष एक फीसदी लोग जर्मन बोलते हैं। अल्पसंख्यक फ्रेंच भाषी लोग ज्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं। बहुत बाद में जाकर आर्थिक विकास और शिक्षा का लाभ पाने वाले डच भाषी लोगों को इस स्थिति से नाराजगी हुई थी। इससे 1950-60 ई. के दशक में फ्रेंच और डच बोलने वाले समूहों के बीच तनाव बढ़ने लगा। डच बोलने वाले लोग संख्या के हिसाब से अपेक्षाकृत ज्यादा थे लेकिन धन और समृद्धि के मामले में कमजोर और अल्पमत में थे।
प्रश्न 4. सत्ता की साझेदारी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।
उत्तर-लंबे समय से यही मान्यता चली आ रही थी कि सरकार की सारी शक्तियाँ एक व्यक्ति या किसी खास स्थान पर रहने वाले व्यक्ति समूह के हाथ में रहनी चाहिए। अगर फैसले लेने की शक्ति बिखर गई तो तुरंत फैसले लेना और उन्हें लागू करना संभव नहीं होगा। लेकिन, लोकतंत्र का एक बुनियादी सिद्धांत है कि जनता सारी राजनीतिक शक्ति का स्रोत है। इसमें लोग स्वशासन की संस्थाओं के माध्यम से अपना शासन चलाते हैं। एक अच्छे लोकतांत्रिक शासन में समाज के विभिन्न समूहों और उनके विचारों को उचित सम्मान दिया जाता है और सार्वजनिक नीतियाँ तय करने में सबकी बातें शामिल होती हैं। इसलिए उसी लोकतांत्रिक शासन को अच्छा माना जाता है जिसमें ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को राजनीतिक सत्ता में हिस्सेदार बनाया जाए।
प्रश्न 5.सत्ता के ऊर्ध्वाधर वितरण तथा बँटवारे का क्षैतिज वितरण में क्या अंतर है?
उत्तर—ऊर्ध्वाधर वितरण और क्षैतिज वितरण में निम्नलिखित अन्तर है—
ऊर्ध्वाधर वितरण
1. उर्ध्वाधर वितरण के अंतर्गत सरकार के विभन्न स्तर के
विभिन्न स्तरों में सत्ता का बँटवारा होता है।
2. इसमें उच्चतर तथा निम्नतर स्तर की सरकारें होती हैं।
3. इसमें निम्नतर स्तर के अंग उच्चतर स्तर के अंगों के अधीन काम करते हैं।
क्षैतिज वितरण
1. क्षैतिज वितरण के अंतर्गत सरकार के विभिन्न अंगों जैसे - कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका में सत्ता का बँटवारा होता है।
2. इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं।
3. इसमें प्रत्येक अंग दूसरे पर नियंत्रणरखता है।
प्रश्न 6.प्रत्यक्ष लोकतंत्र और परोक्ष लोकतंत्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।
उत्तर—प्रत्यक्ष लोकतंत्र और परोक्ष लोकतंत्र में निम्नलिखित अंतर हैं-
प्रत्यक्ष लोकतंत्र
1. प्रत्यक्ष लोकतंत्र में स्वयं नागरिकही कानून बनाते हैं। उदाहरण : स्विट्जरलैंड | अथवा प्राचीन यूनान में एथेन्स नगर राज्य ।
2. प्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता और सरकार में कोई अंतर नहीं होता।
3. प्रत्यक्ष लोकतंत्र बहुत छोटे राज्यों के लिए उपयुक्त तथा संभव होते हैं।
4. प्रत्यक्ष लोकतंत्र में चुनाव कराने की कोई आवश्यकता नहीं होती अथवा इनके आयोजन में किसी तरह की जटिल प्रक्रिया नहीं
होती ।
परोक्ष लोकतंत्र
1. परोक्ष लोकतंत्र में नागरिकों के प्रतिनिधि कानून बनाते हैं।
उदाहरण: भारत ।
2. परोक्ष लोकतंत्र में जनता के प्रति- निधि सरकार का निर्माण करते हैं।
3. बड़े राज्यों के लिए परोक्ष लोक- तंत्र ही उपयुक्त तथा संभव है।
4. परोक्ष लोकतंत्र में एक निश्चित अवधि के बाद चुनाव कराना जरूरी है और इसकी एक जटिल प्रक्रिया है।
प्रश्न 7. सत्ता के क्षैतिज वितरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। साथ ही भारत के संदर्भ में उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।
उत्तर- (1) जब शासन के विभिन्न अंग जैसे—विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिक के बीच सत्ता के बँटवारे की व्यवस्था हो तब इसे सत्ता का क्षैतिज वितरण कहा जाता है।
(2) भारत में राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद् कार्यपालिका के रूप में कार्य करते हैं। वैसे ही संघ विधायिका तथा सर्वोच्च न्यायालय, न्यायपालिका के भाग होते हैं। इनके बीच शक्तियों का विभाजन होता है ताकि कोई भी सत्ता का असीमित उपयोग न कर सके।
(3) हर अंग एक-दूसरे पर अंकुश रखता है। जैसे—भारतीय न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों पर अंकुश रखती है। और विधायिका और कार्यपालिका न्यायपालिका के। इस प्रकार वे शक्ति को संतुलित रखते हैं।
प्रश्न 8. भारतीय संविधान की तीन सूचियों में वर्णित तीन-तीन विषयों को सूचीबद्ध कीजिए।
उत्तर-भारतीय संविधान में वर्णित तीन सूचियों में केन्द्र व राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन इस प्रकार है-
(1) संघ सूची—संघ सूची में लगभग 97 विषय दिये गये हैं जिन पर केवल संसद ही कानून बना सकती है। देश की सुरक्षा, रेलवे, जहाजरानी, मुद्रा तथा डाक एवं ऐतिहासिक स्मारकों की रक्षा के लिए केन्द्रीय सरकार कानून बनाती है।
(2) राज्य सूची-राज्य सूची में लगभग 66 ऐसे विषय हैं जिन पर राज्य सरकारें कानून बना सकती है; जैसे—कृषि, स्वास्थ्य, वन, सिंचाई, विद्युत, राज्य में कानून एवं व्यवस्था, पुलिस तथा मनोरंजन जैसे महत्त्वपूर्ण विषय हैं।
(3) समवर्ती सूची-समवर्ती सूची में लगभग 47 विषय हैं, जिन पर संसद तथा राज्य विधानमंडल दोनों कानून बना सकते हैं। यदि समवर्ती सूची के किसी भी विषय पर संघ सरकार तथा राज्य सरकार दोनों ही कानून पास कर दें, तो संघ सरकार का कानून कार्यान्वित किया जाएगा।
केंद्रीय संसद द्वारा पारित कानूनों को अंतिम रूप से स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाता है तथा राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित कानूनों को अंतिम रूप से स्वीकृति के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाता है। कानूनों पर केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रपति और राज्य स्तर पर राज्यपाल द्वारा अनुमोदित होने पर यह कानून प्रभावी हो जाता है।
प्रश्न 9. भारत में अप्रत्यक्ष लोकतांत्रिक प्रणाली को क्यों अपनाया गया?
उत्तर—भारत में निम्न कारणों से अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को चुना गया-
(1) विभिन्नताओं का देश-भारत विभिन्नताओं का देश है। यहाँ के लोगों में अनेक तरह की विभिन्नताएँ पायी जाती हैं। उनके धर्म, भाषाएँ, रीति- रिवाज तथा संस्कृतियाँ भिन्न-भिन्न हैं। सभी तरह के लोगों को अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में आसानी से प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।
(2) आकार-भारत एक विशाल देश है। क्षेत्रफल की दृष्टि से इसका दुनिया में सातवाँ स्थान है। प्रत्येक व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से विधायिका में हिस्सेदारी नहीं कर सकता है और समय-समय पर सरकार संबंधी सभी निर्णय नहीं ले सकता है।
( 3 ) जनसंख्या–जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। 2011 ई. की जनगणना के अनुसार भारत में लगभग 121 करोड़ से भी ज्यादा लोग रहते हैं। इतना विशाल जनसमूह एक स्थान पर एक साथ इकट्ठा होकर विधायिका के रूप में कैसे कार्य कर सकता है। यही कारण है कि सामान्यतया पाँच वर्षों के बाद सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर (18 वर्ष तथा उससे ज्यादा आयु के) नागरिक ही अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं।
दीर्घ उत्तरीय प्रश्न ?
प्रश्न 1. बेल्जियम में सामाजिक विविधता से जनित समस्याओं का समाधान कैसे किया जा सकता है?
उत्तर—बेल्जियम में डच, फ्रेंच और जर्मन भाषा बोलने वाले लोग रहते हैं। बेल्जियम की सरकार ने इन विविधताओं को स्वीकार किया है। 1970 और 1993 के बीच बेल्जियम की सरकार ने संविधान में चार संशोधन करके लोगों में एकता बनाने का प्रयास किया, जिसकी प्रमुख बातें इस प्रकार हैं—
(1) संविधान में इस बात का स्पष्ट प्रावधान है कि केंद्रीय सरकार में डच और फ्रेंच भाषी मंत्रियों की संख्या समान रहेगी। कुछ विशेष कानून तभी बन सकते हैं जब दोनों भाषायी समूहों के सांसदों का बहुमत उसके पक्ष में हो। इस प्रकार किसी एक समुदाय के लोग एकतरफा फैसला नहीं कर सकते।
(2) केंद्र सरकार की अनेक शक्तियाँ देश के दो इलाकों की क्षेत्रीय सरकारों को सुपुर्द कर दी गई हैं, अर्थात् राज्य सरकारें केंद्रीय सरकार के अधीन नहीं हैं। (3) ब्रुसेल्स में अलग सरकार है और इसमें दोनों समुदायों का समान प्रतिनिधित्व है। फ्रेंच भाषी लोगों ने ब्रुसेल्स में समान प्रतिनिधित्व के इस प्रस्ताव को स्वीकार किया क्योंकि डच भाषी लोगों ने केंद्रीय सरकार में बराबरी का प्रतिनिधित्व स्वीकार कर लिया है।
(4) केंद्रीय और राज्य सरकारों के अलावा यहाँ एक तीसरे स्तर की सरकार भी काम करती है, यानि सामुदायिक सरकार। इस सरकार का चुनाव एक ही भाषा बोलने वाले लोग करते हैं। डच, फ्रेंच और जर्मन बोलने वाले समुदायों के लोग चाहे वे जहाँ भी रहते हों, इस सामुदायिक सरकार को चुनते हैं। इस सरकार को संस्कृति, शिक्षा और भाषा जैसे मसलों पर फैसले लेने का अधिकार है।
इस जटिल व्यवस्था में बेल्जियम में गृहयुद्ध की आशंकाओं पर विराम लग गया है, अन्यथा बेल्जियम भाषा के आधार पर तीन टुकड़ों में बँट गया होता।
प्रश्न 2. श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद तथा इसके प्रभावों का वर्णन करें।
उत्तर- सन् 1948 ई. में श्रीलंका स्वतंत्र राष्ट्र बना। सिंहली समुदाय नेताओं ने अपनी अधिक संख्या के बल पर शासन व सत्ता पर प्रभुत्व जमाना चाहा। नवनिर्वाचित लोकतांत्रिक सरकार ने सिंहली समुदाय की प्रभुता बनाए रखने के लिए अनेक कदम उठाए, जो इस प्रकार हैं-
(1) 1956 ई. में एक कानून बनाया गया जिसके तहत तमिल को दरकिनार करके सिंहली को एकमात्र राजभाषा घोषित कर दिया गया।
(2) विश्वविद्यालयों और सरकारी नौकरियों में सिंहलियों को प्राथमिकता
दी गई।
(3) नए संविधान में यह प्रावधान भी किया गया कि सरकार बौद्ध मत को संरक्षण और बढ़ावा देगी।
प्रभाव–उपरोक्त सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन के प्रति बेगानेपन को बढ़ाया। उन्हें लगा कि बौद्ध धर्मावलंबी सिंहलियों के नेतृत्व वाली सारी राजनीतिक पार्टियाँ उनकी भाषा और संस्कृति को लेकर असंवेदनशील हैं। उन्हें लगा कि संविधान और सरकारी नीतियाँ उन्हें राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही हैं। नौकरियों आदि में भेद-भाव हो रहा है, उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। परिणामतः तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए।
श्रीलंकाई तमिलों ने अपनी राजनीतिक पार्टियाँ बनाईं और तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता प्राप्त करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग को लेकर संघर्ष किया। 1980 ई. के दशक तक उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वतंत्र तमिल ईलम बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।
श्रीलंका के दो समुदायों के बीच टकराव ने गृहयुद्ध का रूप धारण कर लिया। परिणामस्वरूप दोनों पक्षों के हजारों लोग मारे जा चुके हैं। अनेक परिवार अपने मुल्क से भागकर शरणार्थी बन गए हैं, कई गुना लोगों की रोजी-रोटी चौपट हो गई।
इस प्रकार बहुसंख्यकवाद के कारण श्रीलंका जो आर्थिक विकास, शिक्षा और स्वास्थ्य के मामले में उच्च स्थान पर आता है किंतु वहाँ के गृहयुद्ध ने मुल्क के सामाजिक, सांस्कृतिक और आर्थिक जीवन में काफी परेशानियाँ पैदा कर दीं। हाल ही में एक सैनिक अभियान में लिट्टे प्रमुख प्रभाकरण की मृत्यु यह गृहयुद्ध खत्म हो गया है।
प्रश्न 3.शासन के विभिन्न अंगों के बीच सत्ता का विभाजन किस प्रकार होता है? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर—प्रत्येक लोकतांत्रिक सरकार के तीन अंग होते हैं— (1) विधायिका, (2) कार्यपालिका और (3) न्यायपालिका जो भिन्न-भिन्न कार्य करते हैं। विधायिका कानूनों का निर्माण करती है, कार्यपालिका उन्हें लागू करती है तथा न्यायपालिका उनकी व्याख्या करती है। वह उन व्यक्तियों को दंड देती है जो कानून का उल्लंघन करते हैं।
सरकार के अंगों का इस प्रकार विभाजन इस बात को निश्चित करता है कि किसी भी अंग के हाथों में असीमित शक्तियाँ इकट्ठी न हों। प्रत्येक अंग दूसरे अंगों पर नियंत्रण बनाए रखता है जिससे किसी भी अंग के मनमानी करने की संभावना बहुत कम हो जाती है। विधायिका को कानून बनाने का अधिकार है, परंतु उसके द्वारा पास किया गया कोई भी विधेयक उसी समय कानून का रूप धारण करता है जब कार्यपालिका का अध्यक्ष उसे अपनी स्वीकृति प्रदान कर देता है। इसी प्रकार मंत्री अपनी नीतियों तथा कार्यों के लिए विधायिका के प्रति उत्तरदायी होते हैं, जिसे उनका निश्चित कार्यकाल समाप्त होने से पहले भी उनके विरुद्ध अविश्वास का प्रस्ताव पास करके पद से हटाने का अधिकार होता है। न्यायपालिका को भी अन्य दोनों अंगों के कार्यों की देखभाल करने का अधिकार प्राप्त होता है। यदि कोई-सा अंग संविधान के उल्लंघन में कोई कार्य करता है तो न्यायपालिका को उसे असंवैधानिक करार देने तथा रद्द करने का अधिकार होता है। सरकार के तीन अंगों के बीच शक्ति के विभाजन के परिणामस्वरूप शासन सुचारु रूप से चलता रहता है।
प्रश्न 4. श्रीलंका में सत्ता की भागीदारी पर संक्षिप्त विवरण दीजिए।
उत्तर - 1948 ई. में श्रीलंका एक स्वतंत्र देश के रूप में अस्तित्व आया। श्रीलंका के बहुसंख्यक सिंहली समुदाय के लोगों ने जनसंख्या में अपनी अधिक भागीदारी के आधार पर शासन-सत्ता पर वर्चस्व जमाना चाहा अल्पसंख्यक तमिलों की उपेक्षा आरंभ कर दी। सन् 1956 में एक कानून बनाया गया जिसके अनुसार तमिल भाषा को नजरअंदाज करते राजभाषा घोषित कर दिया गया। सरकारी नौकरियों तथा विश्वविद्यालयों में भी को हुए 'सिंहली' ‘सिंहली’ लोगों को प्राथमिकता देने की नीति अपनाई गई। संविधान में यह व्यवस्था की गई कि सरकार बौद्ध धर्म को बढ़ावा देने की नीति अपनाएगी।
इन प्रावधानों के परिणामस्वरूप 'सिंहला' तथा तमिल समुदायों के बीच संबंध बिगड़ते चले गए। अंततः तमिलों द्वारा अपने राजनैतिक दल बनाए गए और तमिल को राजभाषा बनाने, तमिलों को सरकारी नौकरियों में उचित स्थान देने तथा स्वायत्तता प्राप्त करने के लिए संघर्ष आरंभ कर दिया। इस गृहयुद्ध में दोनों समूहों के हजारों लोग मारे जा चुके हैं और अनेक परिवार देश छोड़कर अन्य पड़ोसी देशों में जाकर बस गए हैं। आज भी वहाँ पर यही स्थिति जारी है और 'सिंहली' लोग अपने बहुमत के आधार पर सत्ता में भागीदारी देने के लिए तैयार के नहीं हैं।
प्रश्न 5.बहुसंख्यकवाद को स्पष्ट कीजिए। श्रीलंका ने बहुसंख्यकवाद को किस प्रकार स्वीकार किया है?
उत्तर - श्रीलंका में सामुदायिक संरचना - श्रीलंका की कुल जनसंख्या में सिंहली समुदाय का प्रतिशत 74 है जबकि तमिलों का प्रतिशत 18 है।
बहुसंख्यक सिंहली धनी और शक्तिशाली हैं। इन्हें अपेक्षाकृत अधिक संवैधानिक अधिकार प्राप्त हैं, जबकि अल्पसंख्यक तमिल सामाजिक, आर्थिक न और राजनीतिक क्षेत्रों में पिछड़े हुए हैं। अतः यहाँ बहुसंख्यक लोग अल्पसंख्यकों पर हावी हैं।
श्रीलंका में बहुसंख्यकवाद - यह एक प्रकार का मत है कि बहुसंख्यक समुदाय को, जिस प्रकार वे चाहें, देश में शासन करने हेतु सक्षम होना चाहिए। बहुसंख्यक सामान्यतः अल्पसंख्यकों की इच्छाओं और आवश्यकताओं का निरादर करते हैं।
श्रीलंका में गृहयुद्ध के कारण-श्रीलंका की बहुसंख्यक या अधिमानित नीतियाँ निम्नलिखित हैं, जिनके कारण देश में गृह युद्ध प्रारंभ हुआ—
(1) सिंहली वर्चस्व स्थापित करने के कारण-श्रीलंकाई सरकार ने सामाजिक, आर्थिक एवं राजनीतिक क्षेत्रों में सिंहला वर्चस्व स्थापित करने हेतु कई प्रकार के उपाय अपनाए हैं।
(2) सिंहली को राजभाषा घोषित करने के कारण-1956 में श्रीलंका में एक अधिनियम पारित किया गया, जिसके तहत सिंहला को एकमात्र आधिकारिक भाषा स्वीकार किया गया। इस प्रकार तमिल भाषा की उपेक्षा की गई।
(3) सिंहली लोगों को प्राथमिकता देने के कारण-शिक्षा के क्षेत्र में विश्वविद्यालय में विभिन्न पदों तथा सरकारी नौकरियों में सिंहला आवेदकों को प्राथमिकता दी गई।
(4) बौद्ध धर्म को राजधर्म की मान्यता प्रदान करने के कारण- धर्म के क्षेत्र में संवैधानिक प्रावधानों के तहत सरकार को बौद्ध धर्म
का संरक्षण एवं देख-रेख करना था । यह तमिल हिन्दुओं के लिए एक अपमानजनक कदम था।
इस प्रकार श्रीलंकाई सरकार की प्राथमिकता वाली नीतियों के तहत तमिलों के समान राजनीतिक, सामाजिक एवं आर्थिक अधिकारों की अवहेलना की गई और इन क्षेत्रों में उनके साथ भेदभाव किया गया। इससे बहुसंख्यक सिंहला और अल्पसंख्यक तमिलों के बीच संघर्ष शुरू हुआ और देश में गृहयुद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न हो गई।
प्रश्न 6.आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अलग-अलग तरीके क्या हैं? इनमें से प्रत्येक का एक उदाहरण भी दें।
उत्तर-आधुनिक लोकतांत्रिक व्यवस्थाओं में सत्ता की साझेदारी के अनेक रूप हो सकते हैं जो इस प्रकार हैं-
1. राजनीतिक दलों व दबाव समूहों द्वारा सत्ता का विभाजन- लोकतांत्रिक राजनीतिक व्यवस्था के अंतर्गत सत्ता बारी-बारी से विभिन्न राजनीतिक दलों के हाथ में आती-जाती रहती है। लोकतंत्र में हम व्यापारी, उद्योगपति, किसान और औद्योगिक मजदूर जैसे अनेक संगठित हित समूहों को भी सक्रिय रूप से क्रियाशील देखते हैं, दबाव समूह सरकार की विभिन्न समितियों में सीधी भागीदारी करने या नीतियों पर अपने सदस्य वर्ग के लिए दबाव बनाकर ये समूह
भी सत्ता में हिस्सेदारी करते हैं। अमेरिका इसका यथोचित उदाहरण है। अमेरिका में दो प्रमुख राजनीतिक दल हैं जो चुनाव लड़कर सत्ता प्राप्त करना चाहते हैं तथा दबाव समूह चुनावों के समय व चुनाव जीतने के बाद राजनीतिक दलों की आर्थिक सहायता करके, सार्वजनिक नीतियों को प्रभावित करके सत्ता में हिस्सेदारी निभाते हैं।
2. शासन के विभिन्न अंगों के बीच बँटवारा - शासन के विभिन्न अंग, जैसे—विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका के बीच सत्ता का बँटवारा रहता है। इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी- अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं। इसमें कोई भी एक अंग सत्ता का असीमित प्रयोग नहीं करता, हर अंग दूसरे पर अंकुश रखता है। इससे विभिन्न संस्थाओं के बीच सत्ता का संतुलन बना रहता है। इसके सबसे अच्छे उदाहरण अमेरिका व भारत हैं। यहाँ विधायिका कानून बनाती है, कार्यपालिका कानून को है तथा न्यायपालिका न्याय करती है। भारत में कार्यपालिका संसद के प्रति लागू करती उत्तरदायी है, न्यायपालिका की नियुक्ति कार्यपालिका करती है, न्यायपालिका, कार्यपालिका और विधायिका के कानूनों की जाँच करके उन पर नियंत्रण रखती है।
3. सरकार के विभिन्न स्तरों में बँटवारा - पूरे देश के लिए एक सरकार होती है जिसे केंद्र सरकार या संघ सरकार कहते है। फिर प्रांत या क्षेत्रीय स्तर पर अलग-अलग सरकारें बनती हैं, जिन्हें अलग-अलग नामों से पुकारा जाता है। भारत में इन्हें राज्य सरकार कहते हैं। इस सत्ता के बँटवारे वाले देशों में संविधान में इस बात का स्पष्ट उल्लेख होता है कि केन्द्र और राज्य सरकारों के बीच सत्ता का बँटवारा किस तरह होगा। सत्ता के ऐसे बँटवारे को ऊर्ध्वाधर वितरण कहा जाता है। भारत में केंद्र और राज्य स्तर के अतिरिक्त स्थानीय सरकारें भी काम करती हैं। इनके बीच सत्ता के बँटवारे के विषय में संविधान में स्पष्ट रूप से लिखा गया है जिससे विभिन्न सरकारों के बीच शक्तियों को लेकर कोई तनाव न हो।
4. विभिन्न सायाजिक समूहों के बीच सत्ता का बँटवारा- -कुछ देशों के संविधान में इस बात का प्रावधान है कि सामाजिक रूप से कमजोर समुदाय और महिलाओं को विधायिका और प्रशासन में हिस्सेदारी दी जाए ताकि लोग स्वयं को शासन से अलग न समझने लगें। अल्पसंख्यक समुदायों को भी इसी तरीके से सत्ता में उचित हिस्सेदारी दी जाती है। बेल्जियम में सामुदायिक सरकार इस व्यवस्था का अच्छा उदाहरण है।
7. भारतीय संदर्भ में सत्ता की हिस्सेदारी का एक उदाहरण देते हुए इसका एक युक्तिपरक और एक नैतिक कारण बताएँ ।
उत्तर—लोकतंत्र में सत्ता की सहभागिता के दो कारण दिए जाते हैं—
(1) युक्तिपरक कारण और (2) नैतिक कारण। इनमें से युक्तिपरक कारण शक्ति के बँटवारे से होने वाले लाभदायक परिणामों पर बल देते हैं, जबकि नैतिक कारण इसकी स्वाभाविक योग्यता पर बल देते हैं।
(1) युक्तिपरक कारण- - भारत में धर्म, जाति, लिंग, भाषा आदि के आधार पर कई सामाजिक समूह विद्यमान हैं। ऐसी स्थिति में सत्ता में भागीदारी विभिन्न सामाजिक समूहों के मध्य तनाव तथा संघर्ष की स्थिति की संभावना को कम करने में सहायता प्रदान करती है। अनुसूचित जातियों, अनुसूचित जनजातियों तथा अन्य पिछड़े वर्गों हेतु विधानमण्डलों तथा सरकारी नौकरियों में आरक्षण की व्यवस्था इसका उचित उदाहरण है।
(2) नैतिक कारण-नैतिकता के आधार पर यह तर्क प्रस्तुत किया जाता है कि लोकतंत्र की आत्मा शक्ति के विभाजन तथा साझेदारी में निहित है। लोकतंत्र की यह स्थापित मान्यता है कि सत्ताधारी लोग जिन पर शासन करते हैं वे उन लोगों की राय अवश्य लें कि उनकी सरकार से क्या अपेक्षा है, वे सरकार से किस प्रकार के कानूनों और नीतियों का क्रियान्वयन चाहते हैं। विधानमण्डलों में विभिन्न राजनैतिक दलों के प्रतिनिधि एक साथ बैठते हैं तथा सरकार के कार्यों में भाग लेते हैं। ये प्रतिनिधि समाज के सम्मुख उपस्थित समस्याओं के समाधान हेतु कानून बनाने की प्रक्रिया में शामिल होते हैं। उदाहरण के लिए भ्रष्टाचार, -आतंकवाद, रिश्वतखोरी, दहेज प्रथा आदि को नियंत्रित करने के लिए बनाये गए कानूनों में प्रायः सभी राजनीतिक दलों ने समर्थन प्रदान किया।
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