बहुविकल्पीय प्रश्न ?
प्रश्न1.बोलिविया का जनसंघर्ष किस नाम से जाना जाता है?
(क) लोकतंत्र के लिए संघर्ष
(ख) जन-समस्याओं के लिए संघर्ष
(ग) बोलिविया का जलयुद्ध
(घ) बोलिविया का गृहयुद्ध
उत्तर—(ग) बोलिविया का जलयुद्ध
प्रश्न 2.बोलिविया में सोशलिस्ट पार्टी कब सत्ता में आई?
(क) 2004 ई. में
(ख) 2005 ई. में
(ग) 2006 ई. में
(घ) 2007 ई. में
उत्तर—(ग) 2006 ई. में
प्रश्न 3.जब कभी लोग बिना संगठन बनाए एकजुट होकर अपनी माँगों के लिए संघर्ष करते हैं तो उसे कहा जाता है-
(क) आंदोलन
(ख) हित-समूह
(ग) दबाव-समूह
(घ) लामबंदी
उत्तर—(क) आंदोलन
प्रश्न 4.ऐसे समूह जो सर्वसामान्य हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं, कहे जाते हैं-
(क) लामबंदी
(ख) आंदोलन
(ग) हित-समूह
(घ) दबाव-समूह
उत्तर—(ग) हित-समूह
प्रश्न 5.नेपाल में हुए जनसंघर्ष को क्या कहा गया था?
(क) तानाशाही शासन के खिलाफ आंदोलन
(ख) लोकतंत्र के लिए दूसरा
(ग) राजा के खिलाफ संघर्ष
(घ) प्रशासनिक व्यवस्था में बदलाव के लिए आंदोलन
उत्तर- (ख) लोकतंत्र के लिए दूसरा आंदोलन
प्रश्न 6.राजा ज्ञानेंद्र के विरुद्ध अप्रैल 2006 में आंदोलन प्रारभ होने का मुख्य कारण क्या था?
(क) 2005 ई. में निर्वाचित सरकार को भंग करना
(ख) जनता की माँगों को ठुकराना
(ग) जनता पर दमनकारी नीति का सहारा लेना
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर—(क) 2005 ई. में निर्वाचित सरकार को भंग करना
प्रश्न 7.बामसेफ किस तरह के भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाता है?
(क) भ्रष्टाचार के खिलाफ
(ख) सरकार की गलत नीतियों के खिलाफ
(ग) सांप्रदायिकता के खिलाफ
(घ) जातिगत भेदभाव के खिलाफ
उत्तर—(घ) जातिगत भेदभाव के खिलाफ
प्रश्न 8.बोलिविया में जनसंघर्ष के क्या कारण थे?
(क) सरकार का तानाशाही रवैया
(ख) लोकतांत्रिक सरकार का गठन न होना
(ग) सरकार के प्रति क्षेत्रीय असंतोष
(घ) कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेचना और कंपनी द्वारा पानी की कीमत में चार गुना वृद्धि करना
उत्तर—(घ) कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेचना और कंपनी द्वारा पानी की कीमत मे चार गुना वृद्धि करना
प्रश्न 9.बोलिविया का जनसंघर्ष किसके विरुद्ध था?
(क) सरकार के विरुद्ध
(ख) कोचबंबा नगर निगम के विरुद्ध
(ग) बहुराष्ट्रीय कंपनी के विरुद्ध
(घ) सरकारी तंत्र के विरुद्ध
उत्तर- (ख) कोचबंबा नगर निगम के विरुद्ध
प्रश्न 10. नेपाल संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने जो गठबंधन किया था उसका क्या नाम था ?
(क) मजदूर संगठन
(ग) सेवन पार्टी एलायंस
(ख) नेपाली कम्युनिस्ट पार्टी
(घ)उपर्युक्त सभी
उत्तर-(ग) सेवन पार्टी एलायंस
प्रश्न 11. बामसेफ क्या है?
(क) सरकारी कर्मचारियों का संगठन
(ख) मजदूरों का संगठन
(ग) व्यापारियों का संगठन
(घ) खिलाड़ियों का संगठन
उत्तर—(क) सरकारी कर्मचारियों का संगठन
प्रश्न 12.नेपाल में जन-आंदोलन कब प्रारंभ हुआ था ?
(क) मार्च 2004 ई. में
(ख) मई 2005 ई. में
(ग) अप्रैल 2006 ई. में
(घ)जून 2007 ई. में
उत्तर—(ग) अप्रैल 2006 ई. में
प्रश्न 13. 'नर्मदा बचाओ' आंदोलन किस तरह का आंदोलन था ?
(क) दबाव-समूह
(ख) लंबी अवधि का आंदोलन
(ग) एकल मुद्दे का आंदोलन
(घ)वर्ग विशेष हित-समूह
उत्तर- (ख) लंबी अवधि का आंदोलन
प्रश्न 14.2006 ई. में नेपाल में उठे विलक्षण लोकप्रिय आंदोलन के संबंध में निम्नलिखित में से कौन-सा विकल्प सही है?
(क) राजतंत्र का सुदृढ़ीकरण
(ख) लोकतंत्र का उन्मूलन
(ग) लोकतंत्र की बहाली
(घ) तानाशाही की स्थापना
उत्तर—(ग) लोकतंत्र की बहाली
प्रश्न 15. निम्नलिखित में से नेपाल में प्रजातंत्र की पुनर्स्थापना के संघर्ष में किन संगठनों ने भाग लिया?
(क) सात दलों का संगठन
(ख) माओवादी
(ग) मजदूर संगठन व उनके परिसंघ
(घ) उपर्युक्त सभी
उत्तर—(घ) उपर्युक्त सभी
प्रश्न 16.किस वित्तीय एजेंसी/संगठन ने बोलीविया सरकार पर नगरपालिका जल आपूर्ति के नियंत्रण को छोड़ने के लिए दबाव डाला?
(क) अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष
(ख) विश्व बैंक
(ग) सेंट्रल बैंक ऑफ बोलीविया
(घ) इनमें से कोई नहीं
उत्तर- (ख) विश्व बैंक
प्रश्न 17.आमतौर पर लोकतांत्रिक संघर्षों को हल किया जाता है-
(क) जनता का लामबंद होना
(ख) संसद या न्यायपालिका जैसी संस्थाएँ
(ग) उपरोक्त दोनों
(घ) उपरोक्त दोनों में से कोई नहीं
उत्तर—(क) जनता का लामबंद होना
प्रश्न 18. राजा वीरेंद्र शाही परिवार के एक रहस्यमय नरसंहार में कब मारे
गये थे?
(क) 2000
(ख) 2001
(ग) 2002
(घ) 2003
उत्तर- (ख) 2001
अतिलघु उत्तरीय प्रश्न ?
प्रश्न 1.जन-सामान्य हित-समूह से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-ऐसा संगठन जो समाज के किसी एक तबके के ही हितों का प्रतिनिधित्व नहीं करते बल्कि सर्वसामान्य हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं। जैसे—फेडेकोर और बामसेफ ।
प्रश्न 2.वर्ग विशेष हित-समूह से क्या तात्पर्य है?
उत्तर-वर्ग विशेष हित-समूह अमूमन समाज के किसी खास हिस्से अथवा समूह के हितों को बढ़ावा देना चाहते हैं। इसके उदाहरण मजदूर • संगठन, व्यावसायिक संघ आदि प्रमुख हैं।
प्रश्न 3.प्रमुख हित-समूह क्या है?
उत्तर-जब एक ही आर्थिक हितों वाले लोग अपना संगठन बनाते हैं तब उसे हित-समूह कहते हैं। जैसे—मजदूर संगठन, व्यापारिक संघ और पेशेवरों के संघ।
प्रश्न 4.दबाव समूह क्या है?
उत्तर—एक ही आर्थिक हितों वाले संगठन जब अपनी माँगें पूरी कराने के लिए सरकार पर दबाव डालने लगे तो हित-समूह दबाव समूह बन जाते हैं।
प्रश्न 5.फेडेकोर क्या है?
उत्तर-बोलिविया के कोचबंबा शहर में पानी के निजीकरण के खिलाफ बोलिविया में जो आंदोलन चला उसकी अगुवाई फेडेकोर नामक संगठन ने की।
प्रश्न 6.लोक कल्याणकारी समूह किसे कहते हैं?
उत्तर-ऐसे संगठन जो समाज के किसी एक तबके के ही हितों का प्रतिनिधित्व नहीं करते बल्कि सर्वसामान्य हितों का प्रतिनिधित्व करते हैं इसलिए इसे लोक कल्याणकारी समूह कहते हैं ।
प्रश्न 7.आंदोलन की विशेषताएँ बताएँ।
उत्तर-आंदोलन की विशेषताएँ
(1) आंदोलनों में संगठन ढीला-ढाला होता है।
(2) आंदोलनों में फैसले अनौपचारिक ढंग से लिए जाते हैं। (3) आंदोलन जनता की स्वतः स्फूर्त भागीदारी पर निर्भर होते हैं।
प्रश्न 8. डी.एम.के. और ए.आई. ए.डी.एम.के. जैसी पार्टियाँ किस प्रकार अस्तित्व में आईं?
उत्तर-1930 और 1940 के दशक में तमिलनाडु में समाज सुधार आंदोलन चले थे। डी.एम.के. और ए.आई. ए.डी.एम.के. जैसी पार्टियाँ इसी समाज सुधार आंदोलन का परिणाम थीं।
प्रश्न 9.असम गण परिषद् पार्टी किस प्रकार अस्तित्व में आई?
उत्तर—असम में बांग्लादेशी और बाहरी राज्यों के निवास करने वाले लोगों के खिलाफ छात्रों द्वारा एक आंदोलन चलाया गया। यह आंदोलन बाद में असम गण परिषद् पार्टी के रूप में अस्तित्व में आया।
प्रश्न 10. बोलिविया के कोचबंबा शहर में जल युद्ध क्यों शुरू हुआ था?
उत्तर-बोलिविया सरकार ने कोचबंबा शहर में जलापूर्ति के अधिकार एक बहुराष्ट्रीय कंपनी को बेच दिए। इस कंपनी ने आनन-फानन में पानी की कीमत में चार गुना इजाफा कर दिया जिससे लोगों में असंतोष फैल गया।
प्रश्न 11. बोलिविया में हुए जनसंघर्ष के मुख्य परिणाम क्या थे?
उत्तर—(1) बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ होने वाले करार रद्द हो गए।
(2) जलापूर्ति नगरपालिका को सौंपना पड़ा।
(3) फिर से पुरानी दरें लागू की गईं।
प्रश्न 12. बामसेफ क्या है?
उत्तर—यह किस तरह का अभियान चलाता है? यह सरकारी कर्मचारियों का संगठन है जो जातिगत भेदभाव के खिलाफ अभियान चलाता है। यह संगठन जातिगत भेदभाव के शिकार अपने सदस्यों की समस्याओं को देखता है।
प्रश्न 13. माओवादी से आप क्या समझते हैं?
उत्तर—चीनी क्रांति के नेता माओ की विचारधारा को मानने वाले साम्यवादी। माओवादी, मजदूरों और किसानों के शासन को स्थापित करने के लिए सशस्त्र क्रांति के द्वारा सरकार को उखाड़ फेंकना चाहते हैं।
प्रश्न 14. नेपाल का सेवन पार्टी एलायंस क्या था?
उत्तर-नेपाल की संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने एक 'सेवन पार्टी' एलायंस बनाया और एक आंदोलन शुरू किया जिसका लक्ष्य शासन की बागडोर राजा के हाथ से लेकर दोबारा जनता के हाथों में सौंपना था।
प्रश्न 15.संवैधानिक राजतन्त्र का क्या अर्थ है?
उत्तर—संवैधानिक राजतन्त्र ऐसी सरकार है जिसमें राज्य का मुखिया राजा होता है पर उसके पास नामपात्र की शक्तियाँ होती हैं।
प्रश्न 16. कौन-सा संघर्ष नेपाल के लोकतंत्र के लिए दूसरा आंदोलन कहा जाने लगा है?
उत्तर- अप्रैल 2006 में लोकतंत्र के लिए संघर्ष।
लघु उत्तरीय प्रश्न ?
प्रश्न 1.लोकतंत्र की स्थापना के लिए नेपाल में चलाए गए द्वितीय आंदोलन की चर्चा कीजिए।
अथवा नेपाल में लोकतंत्र शासन कैसे प्रारंभ हुआ? संक्षेप में उल्लेख कीजिए।
उत्तर—यह आंदोलन राजा ज्ञानेंद्र के विरुद्ध चलाया गया क्योंकि उसने 1990 के दशक में स्वीकार की गई सांविधिक राजतंत्र व्यवस्था को शाही आदेश से भंग कर दिया था। बोलिविया के फेडेकोर की तरह यहाँ भी सात राजनैतिक दलों का एक संयुक्त गठबंधन तैयार किया गया। आरंभ में की गई चार दिन के बंद की घोषणा ने अनिश्चितकालीन स्वरूप ले लिया। ज्ञानेन्द्र ने पुलिस और सैन्य बलों द्वारा इस विरोध को दबाना चाहा लेकिन सफल न हो पाया। इस आंदोलन समूह की माँग थी कि संसदीय लोकतंत्र को पुनः स्वीकार किया जाए, सर्वदलीय सरकार बने और संविधान सभा का गठन हो। 24 अप्रैल, 2006 को अंततः राजा ज्ञानेन्द्र को आंदोलनकारियों के समक्ष झुकना पड़ा। आंतरिक सरकार बनी और इसने कानून बनाकर राजा की अधिकांश शक्तियों को वापस ले लिया।
प्रश्न 2.दबाव समूह क्या हैं? ये किस प्रकार राजनीतिक दलों से भिन्न हैं? स्पष्ट कीजिए।
अथवा दबाव समूह और राजनीतिक दल में दो अंतर बताइए। दबाव समूह का एक उदाहरण दीजिए।
उत्तर- -लोगों का ऐसा समूह जो सरकार से अपनी माँगें मनवाने के लिए परोक्ष रूप से दबाव डालने वाले सशक्त संगठन को बनाता है, दबाव-समूह कहलाता है। इनका सीधा संबंध आंदोलन आदि चलाने के साथ होता है। दबाव समूह और राजनीतिक दल में अंतर :
(1) दबाव-समूह वर्गीय और सामूहिक हित के आधार पर भिन्न-भिन्न होते हैं जबकि राजनैतिक दल निर्वाचन आयोग के मानदंडों के अनुसार क्षेत्रीय या राष्ट्रीय राजनैतिक दल होते हैं।
(2) दबाव-समूह चुनाव के समय राजनैतिक दलों पर दबाव बनाते हैं। इनके कारण ही जनमत प्रभावित होता है।
(3) राजनैतिक दलों की किशोरावस्था ही दबाव समूह है।
प्रश्न 3. नेपाल के लोगों का संघर्ष पूरे विश्व के लोकतंत्र प्रेमियों के लिए किस प्रकार प्रेरणा का स्रोत बना? स्पष्ट कीजिए।
उत्तर - नेपाल में 1990 के दशक में लोकतंत्र स्थापित हुआ, जिसमें राजा को औपचारिक रूप से प्रधान बनाया गया था। राजा वीरेन्द्र की हत्या के बाद राजा ज्ञानेंद्र ने 2005 में निर्वाचित सरकार को भंग कर दिया, जिसके खिलाफ 2006 में आंदोलन उठ खड़ा हुआ। संसद की सभी बड़ी राजनीतिक पार्टियों ने एक सेवन पार्टी एलायंस गठबंधन बनाया और नेपाल की राजधानी काठमाण्डू में चार दिन के बंद का आह्वान किया। इस प्रतिरोध ने जल्दी ही अनियतकालीन बंद का रूप ले लिया। लोग लाखों की संख्या में सड़कों पर उतरने लगे। अंत में राजा को आंदोलनकारियों के आगे झुकना पड़ा और जनता की तीनों माँगों को मानने के लिए बाध्य होना पड़ा। पी.सी.ए. ने गिरिजा प्रसाद कोइराला को अंतरिम सरकार का प्रधानमंत्री चुना। संसद फिर से बहाल हो गई और संसद ने कई नए कानून पारित किए।
नेपाल के लोगों के संघर्ष ने राजा को झुकने के लिए बाध्य किया और राजा द्वारा नेपाल में लोकतंत्र के लिए महत्त्वपूर्ण कदम उठाया गया। इससे पूरे विश्व के लोकतंत्र प्रेमियों के लिए यह संदेश गया कि संघर्ष से लोकतांत्रिक व्यवस्था हासिल की जा सकती है। किसी भी तानाशाह सरकार को झुकाया जा सकता है।
प्रश्न 4.लोकतंत्र पर दबाव के कुछ नकारात्मक प्रभावों का समूह वर्णन करें।
उत्तर—( 1 ) लोकतंत्र के लिए हितकर नहीं होता- कुछ मानना है कि एक ही दल या वर्ग के हितों का प्रतिनिधित्व करने वाले दबाव-समूह लोकतंत्र के लिए हितकर नहीं होते क्योंकि लोकतंत्र में किसी एक वर्ग की नहीं बल्कि सबके हितों की रक्षा होनी चाहिए। दबाव-समूह सत्ता का प्रयोग तो करना चाहते हैं लेकिन जिम्मेदारी से बचना चाहते हैं।
( 2 ) जनता के प्रति जवाबदेह न होना-राजनीतिक दलों को चुनाव के समय जनता का सामना करना पड़ता है लेकिन ये समूह जनता के प्रति जवाबदेह नहीं होते।
(3) पूँजीवादी लोगों का वर्चस्व होना- कभी-कभी ऐसा भी हो सकता है कि दबाव-समूहों को बहुत कम लोगों का समर्थन प्राप्त हो लेकिन उनके पास धन ज्यादा हो और इसके बल पर यह सार्वजनिक बहस का रुख अपनी ओर मोड़ने में सफल हो जाए।
प्रश्न 5. जन-संघर्ष से किस प्रकार लोकतंत्र का विकास होता है?
उत्तर—लोकतंत्र का विकास जनसंघर्ष के जरिए होता है। यह संभव है कि कुछ महत्त्वपूर्ण फैसले आम सहमति से हो जाएँ और इनके पीछे किसी तरह का संघर्ष न हो। फिर भी, इसे अपवाद ही कहा जाएगा। लोकतंत्र की निर्णायक घड़ी अधिकतर वही होती है जब सत्ताधारियों और सत्ता में हिस्सेदारी चाहनेवालों के बीच संघर्ष होता है। ऐसी घड़ी तब आती है जब कोई देश लोकतांत्रिक दिशा में कदम बढ़ा रहा हो, उस देश में लोकतंत्र का विस्तार हो रहा हो अथवा वहाँ लोकतंत्र की जड़ें मजबूत होने की प्रक्रिया में हों।
प्रश्न 6. हित-समूह क्या होता है? वह कब एक दबाव समूह बन जाता है?
उत्तर—प्रत्येक समाज में कृषक, पूँजीपति, भूमिपति, शिक्षक, सरकारी कर्मचारी तथा मजदूरों व अन्य व्यवसायियों के विभिन्न प्रकार के हित पाए जाते हैं। जब एक ही प्रकार के हित रखने वाले लोग कोई संगठित रूप धारण कर लेते हैं। तो उसे 'हित-समूह' कहा जाता है। ढिल्लो के अनुसार, 'साधारण शब्दों में, हित-समूह ऐसे लोगों का समुदाय है जिनमें परस्पर हितों की साझेदारी हो।” जब कोई हित-समूह अपने उद्देश्य की पूर्ति के लिए सरकार से सहायता चाहने लगता है और विधानमंडल के सदस्यों को इस रूप में प्रभावित करने का प्रयत्न करने लगता है कि सामान्य कानूनों का निर्माण अथवा उनमें संशोधन करते समय उनके हितों को ध्यान में रखा जाए, तो वह दबाव समूह का रूप धारण कर लेता है। दबाव-समूह अपने सदस्यों के हितों को विकसित करने तथा उन्हें सुरक्षित रखने के लिए उन्हें आवश्यक सुविधाएँ प्रदान कराने तथा सरकार को उनके हितों के विरुद्ध कार्य करने से रोकने के लिए सरकार पर दबाव डालते रहते हैं। दबाव-समूह अपना काम करवाने के लिए विधायकों व सरकारी अधिकारियों पर उचित अथवा अनुचित साधनों द्वारा प्रभाव डालते हैं। इसी कारण दबाव-- व-समूहों को कई बार भ्रष्टाचार का केंद्र भी कहा जाता है
विभिन्न विद्वानों द्वारा दबाव समूह की निम्नलिखित परिभाषाएँ दी गई हैं-
1. सी.एच. ढिल्लो के अनुसार, “साधारण शब्दों में समान हित वाले व्यक्तियों के समूह को हित-समूह कहते हैं। जब वे अपने लाभ की प्राप्ति के लिए सरकारी सहायता प्राप्त करते हैं तो वे दबाव-गुटों का रूप धारण कर लेते हैं।”
2. आमण्ड तथा पॉवेल के अनुसार, “हित-समूह से हमारा तात्पर्य ऐसे व्यक्तियों के से है जो किसी विशेष हित अथवा लाभ के लिए परस्पर मिले
समूह
हों और जिनमें उन हितों के संबंध में चेतना हो ।"
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