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लोकतंत्र में सत्ता की साझेदारी प्रश्न उत्तर Class 10 (लोकतांत्रिक राजनीति) chapter-1 | Power partnership in democracy class 10

 



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लघु उत्तरीय प्रश्न


प्रश्न 1.श्रीलंकाई तमिलों ने अपने अधिकारों के लिए किस संघर्ष किया?


उत्तर - श्रीलंकाई तमिलों ने अपने अधिकारों को प्राप्त करने के लिए राजनीतिक दल का गठन किया। तमिलों ने तमिल को राजभाषा बनाने, क्षेत्रीय स्वायत्तता प्राप्त करने तथा शिक्षा और रोजगार में समान अवसरों की माँग लेकर संघर्ष किया। किन्तु तमिलों की जनसंख्या वाले क्षेत्र की स्वायत्तता की उनकी माँगों की श्रीलंकाई सरकार द्वारा लगातार अनदेखी की गयी। 1980 ई. के दशक तक श्रीलंका के उत्तर-पूर्वी श्रीलंका में स्वायत्त तमिल ईलम बनाने की माँग को लेकर अनेक राजनीतिक संगठन बने।


प्रश्न 2. बहुसंख्यकवाद ने श्रीलंका में किस प्रकार सामाजिक तनाव को जन्म दिया?


उत्तर-श्रीलंका में बहुसंख्यक सिंहलियों के हितों को ध्यान में रखकर कानून बनाये गए। इसके कारण सभी महत्त्वपूर्ण क्षेत्रों में सिंहलियों का एकाधिकार हो गया। इन सरकारी फैसलों ने श्रीलंकाई तमिलों की नाराजगी और शासन को लेकर उनमें बेगानापन बढ़ाया। उन्हें लगा कि संविधान और सरकार की नीतियाँ उन्हें समान राजनीतिक अधिकारों से वंचित कर रही हैं, उनके हितों की अनदेखी की जा रही है। परिणाम यह हुआ कि तमिल और सिंहली समुदायों के संबंध बिगड़ते चले गए। इस टकराव ने गृहयुद्ध का रूप धारण कर लिया।


प्रश्न 3.बेल्जियम में विभिन्न भाषायी लोगों के बीच सामाजिक तनाव के कारण बताइए।


उत्तर-बेल्जियम की कुल आबादी का 59 प्रतिशत हिस्सा फ्लेमिश इलाके में रहता है और डच बोलता है। 40 फीसदी लोग वेलोनिया में रहते हैं और फ्रेंच बोलते हैं। शेष एक फीसदी लोग जर्मन बोलते हैं। अल्पसंख्यक फ्रेंच भाषी लोग ज्यादा समृद्ध और ताकतवर रहे हैं। बहुत बाद में जाकर आर्थिक विकास और शिक्षा का लाभ पाने वाले डच भाषी लोगों को इस स्थिति से नाराजगी हुई थी। इससे 1950-60 ई. के दशक में फ्रेंच और डच बोलने वाले समूहों के बीच तनाव बढ़ने लगा। डच बोलने वाले लोग संख्या के हिसाब से अपेक्षाकृत ज्यादा थे लेकिन धन और समृद्धि के मामले में कमजोर और अल्पमत में थे।


प्रश्न 4. सत्ता की साझेदारी के महत्त्व को स्पष्ट कीजिए।


उत्तर-लंबे समय से यही मान्यता चली आ रही थी कि सरकार की सारी शक्तियाँ एक व्यक्ति या किसी खास स्थान पर रहने वाले व्यक्ति समूह के हाथ में रहनी चाहिए। अगर फैसले लेने की शक्ति बिखर गई तो तुरंत फैसले लेना और उन्हें लागू करना संभव नहीं होगा। लेकिन, लोकतंत्र का एक बुनियादी सिद्धांत है कि जनता सारी राजनीतिक शक्ति का स्रोत है। इसमें लोग स्वशासन की संस्थाओं के माध्यम से अपना शासन चलाते हैं। एक अच्छे लोकतांत्रिक शासन में समाज के विभिन्न समूहों और उनके विचारों को उचित सम्मान दिया जाता है और सार्वजनिक नीतियाँ तय करने में सबकी बातें शामिल होती हैं। इसलिए उसी लोकतांत्रिक शासन को अच्छा माना जाता है जिसमें ज्यादा से ज्यादा नागरिकों को राजनीतिक सत्ता में हिस्सेदार बनाया जाए।


प्रश्न 5.सत्ता के ऊर्ध्वाधर वितरण तथा बँटवारे का क्षैतिज वितरण में क्या अंतर है?


उत्तर—ऊर्ध्वाधर वितरण और क्षैतिज वितरण में निम्नलिखित अन्तर है—

ऊर्ध्वाधर वितरण

1. उर्ध्वाधर वितरण के अंतर्गत सरकार के विभन्न स्तर के

विभिन्न स्तरों में सत्ता का बँटवारा होता है।

2. इसमें उच्चतर तथा निम्नतर स्तर की सरकारें होती हैं।

3. इसमें निम्नतर स्तर के अंग उच्चतर स्तर के अंगों के अधीन काम करते हैं।


क्षैतिज वितरण

1. क्षैतिज वितरण के अंतर्गत सरकार के विभिन्न अंगों जैसे - कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका में सत्ता का बँटवारा होता है।

 2. इसमें सरकार के विभिन्न अंग एक ही स्तर पर रहकर अपनी-अपनी शक्ति का उपयोग करते हैं।

3. इसमें प्रत्येक अंग दूसरे पर नियंत्रणरखता है।


प्रश्न 6.प्रत्यक्ष लोकतंत्र और परोक्ष लोकतंत्र में अन्तर स्पष्ट कीजिए।


उत्तर—प्रत्यक्ष लोकतंत्र और परोक्ष लोकतंत्र में निम्नलिखित अंतर हैं-

प्रत्यक्ष लोकतंत्र

1. प्रत्यक्ष लोकतंत्र में स्वयं नागरिकही कानून बनाते हैं। उदाहरण : स्विट्जरलैंड | अथवा प्राचीन यूनान में एथेन्स नगर राज्य ।

 2. प्रत्यक्ष लोकतंत्र में जनता और सरकार में कोई अंतर नहीं होता।

3. प्रत्यक्ष लोकतंत्र बहुत छोटे राज्यों के लिए उपयुक्त तथा संभव होते हैं।

4. प्रत्यक्ष लोकतंत्र में चुनाव कराने की कोई आवश्यकता नहीं होती अथवा इनके आयोजन में किसी तरह की जटिल प्रक्रिया नहीं

होती ।


परोक्ष लोकतंत्र

1. परोक्ष लोकतंत्र में नागरिकों के प्रतिनिधि कानून बनाते हैं।

उदाहरण: भारत ।

2. परोक्ष लोकतंत्र में जनता के प्रति- निधि सरकार का निर्माण करते हैं।

3. बड़े राज्यों के लिए परोक्ष लोक- तंत्र ही उपयुक्त तथा संभव है।

4. परोक्ष लोकतंत्र में एक निश्चित अवधि के बाद चुनाव कराना जरूरी है और इसकी एक जटिल प्रक्रिया है।


प्रश्न 7. सत्ता के क्षैतिज वितरण का अर्थ स्पष्ट कीजिए। साथ ही भारत के संदर्भ में उदाहरण प्रस्तुत कीजिए।


 उत्तर- (1) जब शासन के विभिन्न अंग जैसे—विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिक के बीच सत्ता के बँटवारे की व्यवस्था हो तब इसे सत्ता का क्षैतिज वितरण कहा जाता है।

(2) भारत में राष्ट्रपति और मंत्रिपरिषद् कार्यपालिका के रूप में कार्य करते हैं। वैसे ही संघ विधायिका तथा सर्वोच्च न्यायालय, न्यायपालिका के भाग होते हैं। इनके बीच शक्तियों का विभाजन होता है ताकि कोई भी सत्ता का असीमित उपयोग न कर सके।

(3) हर अंग एक-दूसरे पर अंकुश रखता है। जैसे—भारतीय न्यायपालिका, विधायिका और कार्यपालिका के कार्यों पर अंकुश रखती है। और विधायिका और कार्यपालिका न्यायपालिका के। इस प्रकार वे शक्ति को संतुलित रखते हैं।


प्रश्न 8. भारतीय संविधान की तीन सूचियों में वर्णित तीन-तीन विषयों को सूचीबद्ध कीजिए।


उत्तर-भारतीय संविधान में वर्णित तीन सूचियों में केन्द्र व राज्यों के बीच शक्तियों का विभाजन इस प्रकार है-

(1) संघ सूची—संघ सूची में लगभग 97 विषय दिये गये हैं जिन पर केवल संसद ही कानून बना सकती है। देश की सुरक्षा, रेलवे, जहाजरानी, मुद्रा तथा डाक एवं ऐतिहासिक स्मारकों की रक्षा के लिए केन्द्रीय सरकार कानून बनाती है।

(2) राज्य सूची-राज्य सूची में लगभग 66 ऐसे विषय हैं जिन पर राज्य सरकारें कानून बना सकती है; जैसे—कृषि, स्वास्थ्य, वन, सिंचाई, विद्युत, राज्य में कानून एवं व्यवस्था, पुलिस तथा मनोरंजन जैसे महत्त्वपूर्ण विषय हैं।

(3) समवर्ती सूची-समवर्ती सूची में लगभग 47 विषय हैं, जिन पर संसद तथा राज्य विधानमंडल दोनों कानून बना सकते हैं। यदि समवर्ती सूची के किसी भी विषय पर संघ सरकार तथा राज्य सरकार दोनों ही कानून पास कर दें, तो संघ सरकार का कानून कार्यान्वित किया जाएगा।

केंद्रीय संसद द्वारा पारित कानूनों को अंतिम रूप से स्वीकृति के लिए राष्ट्रपति को भेजा जाता है तथा राज्य विधानमण्डल द्वारा पारित कानूनों को अंतिम रूप से स्वीकृति के लिए राज्यपाल के पास भेजा जाता है। कानूनों पर केन्द्रीय स्तर पर राष्ट्रपति और राज्य स्तर पर राज्यपाल द्वारा अनुमोदित होने पर यह कानून प्रभावी हो जाता है।


प्रश्न 9. भारत में अप्रत्यक्ष लोकतांत्रिक प्रणाली को क्यों अपनाया गया?


उत्तर—भारत में निम्न कारणों से अप्रत्यक्ष लोकतंत्र को चुना गया-

(1) विभिन्नताओं का देश-भारत विभिन्नताओं का देश है। यहाँ के लोगों में अनेक तरह की विभिन्नताएँ पायी जाती हैं। उनके धर्म, भाषाएँ, रीति- रिवाज तथा संस्कृतियाँ भिन्न-भिन्न हैं। सभी तरह के लोगों को अप्रत्यक्ष लोकतंत्र में आसानी से प्रतिनिधित्व दिया जा सकता है।

(2) आकार-भारत एक विशाल देश है। क्षेत्रफल की दृष्टि से इसका दुनिया में सातवाँ स्थान है। प्रत्येक व्यक्ति व्यक्तिगत रूप से विधायिका में हिस्सेदारी नहीं कर सकता है और समय-समय पर सरकार संबंधी सभी निर्णय नहीं ले सकता है।

( 3 ) जनसंख्या–जनसंख्या की दृष्टि से चीन के बाद भारत का विश्व में दूसरा स्थान है। 2011 ई. की जनगणना के अनुसार भारत में लगभग 121 करोड़ से भी ज्यादा लोग रहते हैं। इतना विशाल जनसमूह एक स्थान पर एक साथ इकट्ठा होकर विधायिका के रूप में कैसे कार्य कर सकता है। यही कारण है कि सामान्यतया पाँच वर्षों के बाद सार्वभौमिक वयस्क मताधिकार के आधार पर (18 वर्ष तथा उससे ज्यादा आयु के) नागरिक ही अपने प्रतिनिधियों को चुनते हैं।



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